Manuscript Number : GISRRJ214567
कौषल विकास और युवा सषक्तिकरण के लिए उद्यमषीलता का सर्मथन
Authors(1) :-डॉ० गिरीश कुमार वत्स षिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण अंग निष्चय ही पाठषालाएॅ भी हैं और उनके वर्तमान स्वरूप में परिवर्तन भी आवष्यक है। षिक्षा में परिवर्तन की बात कही तो सर्वत्र जाती है, लेकिन स्कूली षिक्षा में आमूल-चूल परिर्वतन की कोई स्पश्ट स्थिति विर्निर्मित नही हो सकी है। आज प्रषिक्षण व कौषल के अभाव में सारी विपन्नताएं उठ खड़ी हुई है। स्वतन्त्रता देष वासियों की एक अत्यन्त षक्तिषाली मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक आवष्यकता थी और इसके लिए वे सब कुछ बलिदान करने को तैयार थे। आज उसी बलिदान स्तर की आवष्यकता है तथा ‘मेक इन इंण्डियाष् को आधार बनाकर कौषल का विकास, षैक्षणिक पाठ्यचर्या में महत्वपूर्ण स्थान दिया जाना है और उसके लिए षिक्षा विभाग तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को देष के निर्माण के कार्य लिए आगे आना है। प्रषिक्षण की आवष्यकता और महŸाा पर आज के विचारक एवं बुद्धिजीवी एक मत है। यही वह साॅचा है, जिसके द्वारा व्यक्ति का व्यक्तित्व ढाला और वातावरण बदला जा सकता है। अनेकों मतभदों के बावजूद अधिकांष चिन्तक दो घटकों-कुषल प्रषिक्षक एवं अनुकूल वातावरण की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया में प्रधानता मानते है।
डॉ० गिरीश कुमार वत्स कौषल ,षैक्षिक मोर्चाबन्दी, रोजगार । Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021 Article Preview
प्राचार्य, ऐ० टी० एम० एस० कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, अछेजा, हापुड़, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2021-09-30
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Page(s) : 102-108
Manuscript Number : GISRRJ214567
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214567