महिला कथाकारों के लेखन की पृष्ठभूमि

Authors(1) :-डॉ. माया गोला

मानविकी विज्ञान, मीडिया और चिंतन प्रायः सभी क्षेत्रों में इक्कीसवीं सदी में आधुनिकता का विकास हो रहा है। आज हम इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक को समाप्त कर द्वितीय दशक के अंत में पहुंच चुके हैं। इसी के साथ हमारे देश, समाज एवं साहित्य का तीव्र गति से आधुनिकीकरण हो रहा है। साहित्य समाज का दर्पण होता है। क्योंकि समाज में चारों ओर जो भी घटित हो रहा है, उसी को माध्यम बनाकर साहित्यकार अपनी लेखनी द्वारा उन घटनाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अभिव्यक्त करता है। इक्कीसवीं सदी में आधुनिकरण के साथ ही साथ हमारा साहित्य भी आधुनिकता के शिखर पर पहुंच गया है।

Authors and Affiliations

डॉ. माया गोला
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, परिसर अल्मोड़ा, उत्तराखंड, भारत।

इक्कीसवी सदी, महिला कथाकार, समाज एवं साहित्य आदि।

  1. आशारानी व्होरा (संपा.), भारतीय भाषाओं में महिला लेखन (2005), श्री नटराजन प्रकाशन, दिल्ली,पृ.सं- 13
  2. नीरजा माधव, हिन्दी साहित्य का ओझल नारी इतिहास (1857-1947), (2014), सामयिक बुक्स, दिल्ली, पृ.सं-97-98.
  3. नीरजा माधव, हिन्दी साहित्य का ओझल नारी इतिहास (1857-1947), (2014), सामयिक बुक्स प्रकाशन, दिल्ली, पृ.सं 108 109.
  4. चन्द्रकिरण सौनरेक्सा, मेरी प्रिय कहानियाँ, (2008), पुर्वोदय प्रकाशन, दिल्ली, पृ.सं -
  5. ममता कालिया (संपा.), नयी सदी की पहचानः श्रेष्ठ महिला कथाकार, (2009), लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, पृ.सं
  6. सं-ममता कालिया, ‘नयी सदी की पहचान श्रेष्ठ महिला कथाकार‘ (मामला आगे बढेगा अभी - चित्रा मुदगल), (2009), लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, पृ.सं. 51
  7. सुधा अरोड़ा, अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी महानगर की चुनिन्दा कहानियाँ, (‘दमनचक्र’),(2014),साहित्य भण्डार, इलाहाबाद, पृ.सं-55
  8. गूगल सर्च आदि।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 185-190
Manuscript Number : GISRRJ214576
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. माया गोला, "महिला कथाकारों के लेखन की पृष्ठभूमि ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 5, pp.185-190, September-October.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214576

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