Manuscript Number : GISRRJ214602
स्वतंत्र भारत में आतंकवाद एवं उग्रवाद की समस्याएँ: एक अध्ययन
Authors(1) :-विशाल कुमार नक्सलवादी आंदोलन भारत के इतिहास की एक प्रमुख घटना रही है। बिहार जैसे राज्य में तो वह एकमात्र सामाजिक आंदोलन है जिसने गाँव के गरीबों एवं वंचितों की समस्याओं को उठाया है। यह पहला ऐसा आंदोलन है जिसमें गरीब किसानों के साथ-साथ भूमिहीन खेतिहर मजदूरों ने हिस्सा लिया और बहुत हद तक उसे नेतृत्व प्रदान किया। 1967 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के एक गाँव नक्सलबाड़ी से शुरू होने के कारण इस आंदोलन को नक्सलवाद कहा जाने लगा। भारत में नक्सलवादी आंदोलन के पीछे की प्रेरणा को समझने के लिए हमें आधी शताब्दी और पीछे जाना होगा। 1949 में चीन में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को प्रमुखता देने वाला क्रांति का एक दूसरा प्रतिमान बहुत से लोगों को ज्यादा अपील करने लगा। चीन की क्रांति के सफलता के काल में ही हैदराबाद के तेलंगाना क्षेत्र में किसानों का सशस्त्र आंदोलन शुरू हो गया था और कुछ चीनी प्रतिमान पर ही वहाँ से बड़े भू-स्वामियों को खदेड़ दिया गया था। इस आंदोलन को फौज के सहारे दबा दिया गया। लेकिन किसान विद्रोह की संभावना आंध्र के इस भू-भाग से कभी ओझल नहीं हुई। तेलंगाना के माओवादी संगठन में उस भावना की निरंतरता देखी जा सकती है। इधर चीन की आर्थिक नीति को लेकर 1960 में सोवियत संघ से विवाद इतना गहरा हो गया कि इसका सीधा असर दुनिया भर के कम्युनिस्ट आंदोलन पर पड़ा और भारत में रूस समर्थक और चीन समर्थक घड़ों में कम्युनिस्ट पार्टी विभाजित होने लगी।
विशाल कुमार Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
एम.ए., पीएच.डी. (इतिहास) बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार), भारत।
Date of Publication : 2021-11-10
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Page(s) : 06-11
Manuscript Number : GISRRJ214602
Publisher : Technoscience Academy
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