Manuscript Number : GISRRJ214604
गीता में बुद्धियोग
Authors(2) :-डाॅ0 बी0बी0 त्रिपाठी, मंजीत कुमार वर्मा मनुष्य संपूर्ण इन्द्रियों के वश मेें करके आत्मतत्व की साधना में स्थित रहता है, उसकी बुद्वि स्थिर हो जाती है। गीता में यही बुद्वियोग है।
डाॅ0 बी0बी0 त्रिपाठी गीता, बुद्धियोग, इन्द्रिय, आत्मतत्व, परमात्मा, जीव।
Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
शोध-निर्देशक, एसोसिएट प्रोफेसर, राजकीय महिला महाविद्यालय, झाॅंसी उत्तर प्रदेश, भारत।
मंजीत कुमार वर्मा
शोधार्थी,विषय संस्कृत, नेहरू महाविद्यालय, ललितपुर, सह बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाॅसी उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2021-12-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 14-16
Manuscript Number : GISRRJ214604
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214604