सतना जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का ग्रामीण की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर प्रभाव का समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors(2) :-डॉ. रचना श्रीवास्तव, श्रीमती विनीता सिंह

महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लागू होने के साथ ही देश में काफी परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगे थे। सर्वप्रथम तो इसने रोजगार प्राप्त करने के मानवीय अधिकार को वैधानिक दर्जा प्रदान कर लोगों को जागरूक करने का काम किया तथा इस अधिनियम ने ग्रामीण बेरोजगारों को यह समझाया है कि रोजगार का अधिकार उनके जीवन के अधिकार में सन्निहित है। मनरेगा अपने प्रारम्भ की तिथि से ही ग्रामीण जन-जीवन को प्रभावित करने लगा है। देश, प्रदेश तथा जिले में काफी मात्रा में प्रभाव दिखायी पड़ रहा है। जब हम प्रभाव की बात करते है तो इससे तात्पर्य होता है कि लक्षित समूह के जीवन के प्रत्येक पहलू को इसने छुआ है तथा अंशतः ही सही किन्तु परिवर्तन अनिवार्यतः हुआ हो। मनरेगा ने ग्रामीणों के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है, अंतर केवल मात्रात्मक है। हम साक्षरता दर को देखे, विवाह की आयु में आया परिवर्तन, महिला प्रस्थिति, गाँव से होने वाले पलायन की स्थिति हो या लोगों के क्रय शक्ति की बात हो सभी क्षेत्रों में मनरेगा ने ग्रामीणों को प्रभावित किया है। सतना जिले की सामाजिक व्यवस्था, जाति आधारित है। यहाँ स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी गाँवों में जाति आधारित उच्चता व निम्नता की भावना व्याप्त है। अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए इतने कठोर नियम अधिनियम बनाये जाने के बाद भी गाँवों में इसे सामाजिक मान्यता मिली हुई है। ग्रामीण समाज की सामाजिक संरचना की प्रमुख संस्थाओं में जाति, संयुक्त परिवार, विवाह आदि में मनरेगा का प्रभाव पड़ने से मुखिया की भूमिका, महिला की प्रस्थिति एवं बाल मजदूरी में काफी प्रभाव पड़ा है। इन सभी क्षेत्रों में पड़ने वाले सम्मिलित प्रभाव को हम सामाजिक स्थिति में पड़ने वाले प्रभाव के रूप में समझेंगे। दूसरी तरफ आर्थिक स्थिति से तात्पर्य गरीबी बेरोजगारी, क्रय शक्ति, जीवन शैली आदि से है। मनरेगा के क्रियान्वयन से ग्रामीण गरीबों को रोजगार की उपलब्धता हुई, गाँवों में व्याप्त बेरोजगारी में क्या परिवर्तन हुआ, उससे ग्रामीणों की बीपीएल प्रस्थिति में कितना परिवर्तन हुआ, ग्रामीणों की क्रयशक्ति में वृद्धि का प्रतिशत कितना है। मजदूरी दर एवं मँहगाई की दर में कितनी समानता-असमानता है, का सम्पूर्ण अध्ययन करने के पश्चात् ही ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पर मनरेगा का प्रभाव समझा जा सकेगा। प्रस्तुत शोध-पत्र में मनरेगा के द्वारा ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में मजबूती आने से उनकी सामाजिक प्रस्थिति में होने वाले परिवर्तनों का भी विश्लेषण करना है।

Authors and Affiliations

डॉ. रचना श्रीवास्तव
विभागाध्यक्ष (समाजशास्त्र विभाग) शा.कन्या महाविद्यालय, रीवा (मध्य प्रदेश)
श्रीमती विनीता सिंह
शोध छात्रा (समाजशास्त्र विभाग) शा.कन्या महाविद्यालय, रीवा (मध्य प्रदेश)

मनरेगा, रोजगार, अकुषल मजदूर, ग्रामीण, बेरोजगारी, पलायन, बी.पी.एल., बाल मजदूरी रोजगार गारंटी क्रय शक्ति।

  1. Rozgar Guarantee Yojana Madhya Pradesh   Useful for Gram Sabha representatives, groups and members working for them, Samarthan, Centre for Development support, March 2006
  2. http://www.nrega-mp.org/
  3. http://nrega.nic.in/draft_guidelines.pdf
  4. Madhya Pradesh Gramin Rozgar Yojana-Salient Features, Samarthan, Centre for Development Support, 2005
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Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022
Date of Publication : 2022-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 83-102
Manuscript Number : GISRRJ225314
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. रचना श्रीवास्तव, श्रीमती विनीता सिंह, "सतना जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का ग्रामीण की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर प्रभाव का समाजशास्त्रीय अध्ययन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 3, pp.83-102, May-June.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225314

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