Manuscript Number : GISRRJ225336
वैदिक आर्यों में आचरण की श्रेष्ठता: युगीन आवश्यकता
Authors(1) :-डाॅ. शैलजा रानी अग्निहोत्री वैदिक संहिताओं के अध्ययन-अनुशीलन से वैदिक आर्यजनों की जीवनशैली, उनके चरित्र, आचार-विचार, व्यवहार आदि सभी का प्रामाणिक परिज्ञान होता है। जिसके अनुसार तत्काल में आर्यजन धार्मिक-आध्यात्मिक प्रवृत्ति के तथा शुद्ध-सात्विक और शील-सदाचारवान् होते थे। वैदिक आर्यजन सदैव अपने धर्म, संस्कृति और समस्त लोकसृष्टि के हित, कल्याण, उन्नयन एवं मंगल के लिए प्रयासरत रहते थे एवं अनार्य या दुष्टजनों से सभी की रक्षा करते थे। स्वयं सदैव श्रेष्ठ आचरण करते थे एवं दैवी शक्तियों से दुष्टजनों के अपसारण की प्रार्थना करते थे। वेदमन्त्रों में दिव्य प्राकृतिक शक्तियों से अपना आशीर्वाद सभी श्रेष्ठजनों पर बनाए रखने की कामना-प्रार्थना वैदिक आर्यजनों की श्रेष्ठता की सूचक है। वैदिक आर्य संस्कृति सदाचार प्रधान थी तथा प्रत्येक मानव, जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, अर्थात् समस्त चेतन-अचेतन जीव-जगत् के प्रति उदात्त, पवित्र और कल्याणाकरी भाव आर्यजनों के रहते थे। माता-पिता, गुरु, मातृभूमि, स्वराज्य एवं राष्ट्र या देश, राजा एवं स्वामी इत्यादि सभी के प्रति मान-सम्मान, श्रद्धा-भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा एवं परोपकार के भाव आर्यजनों के आचरण की श्रेष्ठता के सूचक हैं। यही कारण है कि वैदिक आर्य संस्कृति हरेक प्रकार से जनकल्याणविधायिनी तथा लोकमंगलकारिणी रही है। वर्तमान युग में लोगों में जनकल्याण एवं समस्त लोक के कल्याण की भावनाएँ तिरोहित हो रही हैं; जिसके वीभत्स परिणाम अनेक रूपों में हमारे समक्ष आ रहे हैं। व्यसनों, दुर्भावनाओं, स्वार्थ आदि के कारण दुराचार बढ़ रहा है। समस्त मानवों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों तथा चराचर प्रकृति के प्रति आज का मानव कृतघ्न होता जा रहा है। अतः आज हमें वैदिक युगीन आर्यजनों के श्रेष्ठ आचार-विचार एवं संस्कृति को अपनाने की महती आवश्यकता प्रतीत होती है। वेदों में निहित आर्यजनों के सदाचारी जीवन तथा उनकी श्रेष्ठ संस्कृति को जान-समझकर उसे प्रत्येक जन अपनाए, इस ध्येय को लेकर यह आलेख प्रस्तुत किया गया है।
डाॅ. शैलजा रानी अग्निहोत्री वैदिक आर्यजन, वैदिक संस्कृति, श्रेष्ठ आचार-विचार एवं व्यवहार, लोकमंगलकारिणी, चेतन-अचेतन, जीव-जगत्, मातृभूमि, स्वराज्य एवं स्वराष्ट्र, विश्वबन्धुत्व, सदाचार-दुराचार, आर्य-अनार्यजन, विश्ववरेण्य, भद्र भावना, ऋत एवं सत्य। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022 Article Preview
सह-आचार्य संस्कृत, सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय, ब्यावर।
Date of Publication : 2022-04-30
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Page(s) : 153-158
Manuscript Number : GISRRJ225336
Publisher : Technoscience Academy
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