Manuscript Number : GISRRJ225337
दिनकर की कविता : लोकप्रियता और उत्कृष्टता का अद्भुत समन्वय
Authors(1) :-डॉ. राम उदय कुमार छायावाद सर्वाधिक सशक्त काव्यान्दोलन रहा। पर ऐसा कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि दिनकर जैसे कवियों की भाषा छायावादी काव्य भाषा से अधिक लोकग्राह्य थी। उनकी लोकग्राह्य भाषा और अर्थव्यन्जना काव्य के ये सबल पक्ष उन्हें आज भी प्रासंगिक बनाते हैं। उनकी कविता को पढ़ते हुए किसानों की जिस दुर्व्यवस्था के चित्र उभरते हैं, वे बरबस प्रेमचंद के कथा साहित्य की दुनिया की याद दिला देते हैं। इस योद्धा कवि ने कोमल और कठोर दोनों भावों की साधना की। दिनकर जी के पास राष्ट्र और भारतीयता की एक आधुनिक कल्पना थी और उनकी राष्ट्रीयता में पर्याप्त बौद्धिकता के तत्त्व थे। यह शोध पत्र दिनकर जी की इन्हीं काव्यगत विशिष्टताओं को रेखांकित करता है।
डॉ. राम उदय कुमार दिनकर, कविता, छायावाद, ओज, करुणा, बापू, उर्वशी Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022 Article Preview
असोसिएट प्रोफ़ेसर, शिवदेनी साव महाविद्यालय
कलेर, अरवल, बिहार
Date of Publication : 2022-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 143-152
Manuscript Number : GISRRJ225337
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225337