मेवाड़ के संस्कृत-शिलालेखों का मूल्यांकन

Authors(1) :-डॉ० मधुबाला जैन

सांस्कृतिक विकास एवं समृद्धि हेतु शिल्प, वास्तुकला, साहित्य एवं कला ने मेवाड़ को कीर्ति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा दिया। चित्तौड़ के कीर्तिस्तम्भ, राणकपुर के जैन मन्दिर, सूर्य-मंदिर जहाँ शिल्प के बेजोड़ नमूने हैं वहीं सैन्य स्थापत्य कला मंे कुंभलगढ़ का कोई सानी नहीं है।

Authors and Affiliations

डॉ० मधुबाला जैन
अतिथि व्याख्याता, राजकीय महाविद्यालय मावली, उदयपुर, राजस्थान।, भारत।

मेवाड़, संस्कृत, शिलालेख, मूल्यांकन, साहित्य, सांस्कृतिक, राजस्थान।

  1. नागरी प्रचारणी पत्रिका, भाग-1, पृष्ठ 311-24
  2. राजस्थान थू्र द एजेस, पृष्ठ-313
  3. ओझा, उदयपुर राज्य का इतिहास, भाग-1, पृष्ठ 130
  4. वीरविनोद, भाग-1, पृष्ठ 380
  5. एकलिंग महात्म्य, अध्याय-20, श्लोक 21-22
  6. सीसारमा गाँव के वैद्यनाथ महादेव जी के मंदिर की प्रशस्ति, द्वितीय प्रकरण, श्लोक-66-69
  7. सारणेश्वर महादेव मंदिर की प्रशस्ति, वीरविनोद भाग-1, पृष्ठ 380
  8. जगन्नाथराय मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक-39
  9. राजप्रशस्ति सर्ग 5/28
  10. चित्तौड़ के महासती स्थान के दरवाजे की प्रशस्ति-श्लोक-16,17
  11. राजप्रशस्ति सर्ग-7/3-4
  12. वहीं सर्ग-6/40
  13. कुंभलगढ़ प्रशस्ति, श्लोक-217
  14. बेडवास सराय के पास बावड़ी की प्रशस्ति।
  15. सारणेश्वर मंदिर की प्रशस्ति।
  16. कुंडा ग्राम की प्रशस्ति।
  17. एकलिंग जी मन्दिर में दक्षिणा द्वार के सामने दीवार मंे लगी प्रशस्ति-श्लोक-16
  18. कुम्भलमेरू पर मामादेव के मन्दिर की प्रशस्ति की चतुर्थी पट्टिका-श्लोक-252
  19. राजप्रशस्ति-सर्ग 5/24
  20. वहीं, सर्ग 6/8
  21. चिरवा गाँव के मन्दिर के दाहिनी ओर की प्रशस्ति-श्लोक-20
  22. जावर की प्रशस्ति में श्रीरमावर्णन
  23. सीसारमा गाँव के वैद्यनाथ महादेव मंदिर की प्रशस्ति-चतुर्थ प्रकरण-श्लोक-1
  24. जावर की प्रशस्ति में श्रीरमावर्णन मंे श्लोक-1,2
  25. राजप्रशस्ति-सर्ग 4/32
  26. वहीं, सर्ग 16/6
  27. कुम्भलमेरू पर मामादेव के मंदिर की प्रशस्ति के चैथे पाषाण की चतुर्थ पट्टिका-श्लोक-209, 219, 223
  28. जगत्शिरोमणि के मन्दिर की प्रशस्ति-श्लोक-36,40,47
  29. गोवर्धन विलास मंे मानजी धायभाई के कुंड की प्रशस्ति-श्लोक-4,5,8-10
  30. उदयपुर में रामप्यारी की बाड़ी के मंदिर की प्रशस्ति-श्लोक-8
  31. राजस्थान का इतिहास, मध्ययुग भाग-1 जी.एन.शर्मा पृष्ठ-121
  32. श्री एकलिंग जी के निजमंदिर में दक्षिणाद्वार के सामने की दीवार में लगी हुई प्रशस्ति-श्लोक 59
  33. कीर्तिस्तम्भ की प्रशस्ति
  34. गोकुलचन्द्रमा की प्रशस्ति, श्लोक-54
  35. श्री एकलिंग जी के निजमंदिर में दक्षिणाद्वार के सामने की दीवार में लगी हुई प्रशस्ति-श्लोक 87,81
  36. जगन्नाथ राय मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक 118-119
  37. राजप्रशस्ति-सर्ग 8/47-48
  38. वीरविनोद भाग-1, पृष्ठ 378-380
  39. वीरविनोद भाग-1,कुम्भलमेरू के मामादेव के मन्दिर की प्रशस्ति श्लोक-223
  40. राजप्रशस्ति, सर्ग 4ः10
  41. वीरविनोद भाग-1, एकलिंग जी में दक्षिणाद्वार के सामने की प्रशस्ति श्लोक-51
  42. वहीं, कुम्भलमेरू के मामादेव के मन्दिर की प्रशस्ति श्लोक-257
  43. वीरविनोद भाग-2, जावर की प्रशस्ति
  44. वीरविनोद भाग-1, एकलिंग जी मंे दक्षिणाद्वार के सामने की प्रशस्ति, श्लोक-74,75
  45. राजप्रशस्ति, सर्ग 4ः18,19
  46. वहीं, सर्ग 8ः47-49
  47. वहीं, सर्ग 8ः41, 42
  48. राजप्रशस्ति, प्रत्येक सर्ग का अन्तिम श्लोक
  49. वहीं, सर्ग 8ः53
  50. वहीं, भूमिका-पृष्ठ 35
  51. वहीं, सर्ग 18ः16
  52. वहीं, सर्ग 24ः11,12
  53. वीर विनोद भाग-2, त्रिमुखी बावड़ी की प्रशस्ति-श्लोक-58,60
  54. जयसिंह प्रशस्ति
  55. वीर विनोद भाग-2, बड़ी पाल के पीछे दक्षिणामूर्ति मंे महादेव के मन्दिर की प्रशस्ति, श्लोक-8
  56. वीर विनोद भाग-2, सीसारमा गाँव के वैद्यनाथ मंदिर की प्रशस्ति का चैथा प्रकरण, श्लोक-29
  57. वीर विनोद भाग-2, हरबेनजी के खुरे पर शिवालय की प्रशस्ति, श्लोक-25
  58. वहीं, गोवर्धन विलास में मानजी, धायभाई के कुंड की प्रशस्ति, श्लोक-10
  59. वहीं, दिल्ली दरवाजे के पास बाईजीराज के कुंड के दरवाजे के सामने पंचोलियांे के मन्दिर की प्रशस्ति, श्लोक-28
  60. वहीं, प्रभु बारातण की बाड़ी के मन्दिर की प्रशस्ति, श्लोक-11
  61. वहीं, मेवाड़ के सालेड़ा ग्राम में पूर्व दिशा वाली बावड़ी पर महादेव मन्दिर की प्रशस्ति
  62. वहीं, उदयपुर के रामप्यारी की बाड़ी के मन्दिर की प्रशस्ति, श्लोक-13
  63. सारणेश्वर महादेव की प्रशस्ति।
  64. बिजौलिया के पाश्र्वनाथ मन्दिर की प्रशस्ति-श्लोक-80
  65. चित्तौड़ में नौकोठा के पीछे महल के चैक में गड़े हुए स्तम्भ की प्रशस्ति
  66. अचलेश्वर मंदिर के पास मठ मंे लगी प्रशस्ति, श्लोक 53, 54
  67. चित्तौड़ के समिद्धेश्वर महादेव के मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक-73
  68. कुम्भलमेरू पर मामादेव मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक-224-225
  69. रणकपुर जैन मन्दिर की प्रशस्ति
  70. कुम्भलमेरू पर मामादेव मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक-240
  71. जावर की प्रशस्ति, श्लोक-2
  72. जगन्नाथ राय मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक 7, 11
  73. उदयपुर राज्य का इतिहास, भाग-2 पृष्ठ 547
  74. रामेश्वर मंदिर की प्रशस्ति श्लोक-18
  75. सीसारमा गाँव के वैद्यनाथ मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक-18
  76. एकलिंग जी के मंदिर में दक्षिणाद्वार के सामने दीवार पर लगी प्रशस्ति, श्लोक 50
  77. जी.एन.शर्मा, राजस्थान का इतिहास, पृष्ठ 574
  78. डाॅ. डी. एन. शुक्ल, वास्तुशास्त्र भाग-1, पृष्ठ 259
  79. डाॅ. हर्षप्रभा-कुम्भाकालीन जैन साहित्य, पृष्ठ-39
  80. वहीं, पृष्ठ-43
  81. जगन्नाथ राय मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक 24
  82. सीसारमा गाँव के वैद्यनाथ मंदिर की प्रशस्ति, श्लोक-44, 45

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022
Date of Publication : 2022-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 21-33
Manuscript Number : GISRRJ22535
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ० मधुबाला जैन, "मेवाड़ के संस्कृत-शिलालेखों का मूल्यांकन", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 3, pp.21-33, May-June.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ22535

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