Manuscript Number : GISRRJ22537
पद्मश्री डा. उषाकिरण खानक ‘हसीना मंजिल’ उपन्यासमे स्त्री पात्रक जीवन
Authors(2) :-डा. अरुणा चौधरी, मेघा झा
मैथिली साहित्यमे एकसँ एक रचनाकार भेलथि जे मैथिली साहित्यकेँ समृद्ध करबामे पूर्ण मनोयोगसँ अपन-अपन मनपसंद रचनाक माध्यमसँ योगदान दैत आबि रहलनि अछि। पुरुषक संग-संग अनेको महिला लोकनि सेहो अपन-अपन रचनासँ माँ मैथिलीक शृंगार करैत रहलीह अछि जाहिमे एक टा नाम पद्मश्री उषाकिरण खानक नाम आदर बड्ड आदरक संग लेल जाइत अछि। एखन धरि मैथिली साहित्यमे हिनक छओ टा उपन्यास छनि - पहिल अनुतरित प्रश्न (1980), दोसर दूर्वाक्षत (1987), हसीना-मंजिल (1995), भामती (2007), पोखरि-रजोखरि (2017) आ छठम मनमोहना रे (2020)। दू गोट कथा संग्रह - काँचहि बाँस (2003) आ गोनू झा क्लब (2016); चारि गोट नाटक - फागुन, मुसकौलवला, चानोदाई, एकसरि ठाढि; दू गोट बाल उपन्यास - बाल महाभारत, लड़ाकू जनमेजय। दू गोट नाट्य रूपांतरण- नवतुरिया (यात्री) आ मार्यादा भंग (हरिमोहन झा) एतेक हिनक रचना प्रकाशित, प्रसंशित आ बहुचर्चित अछि।
डा. अरुणा चौधरी नवतुरिया, मैथिली Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022 Article Preview
एशोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, मैथिली विभाग पटना विश्वविद्यालय, पटना, भारत।
मेघा झा
शोधार्थी, मैथिली विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना, भारत।
Date of Publication : 2022-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 41-46
Manuscript Number : GISRRJ22537
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ22537