Manuscript Number : GISRRJ22538
श्रवण बाधित बालकों एवं बालिकाओं को अभिभावकों एवं समाज की सहयोगिता: एक अध्ययन
Authors(2) :-वन्दना मिश्रा, डॉ दीपक कुमार त्रिपाठी खोये हुए आत्मविश्वास, प्रत्याहरण स्वभाव, हीनभावना से ग्रसित इसी प्रकार के नकारात्मक मनोवैज्ञानिक गुणों से भरा हुआ एक निःशक्त बालक (विशिष्ट बालक) जिसके मन में द्वन्द चलता रहता है कि मैं अन्य से अलग क्यों हूँ, और वह इसी उधेड़-बुन में फंसा रहता है, इस तरह वो दूसरों से ही नहीं बल्कि अपनों से ही दूर होता जाता है। अपनों से तात्पर्य उनके माता-पिता, अभिभावक, भाई-बहन आदि से है। धीरे-धीरे इनका प्रभाव न ही उसके कार्य-व्यवहार पर पड़ता है बल्कि उसके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ता है। यह नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव उनके प्रगति एवं विकासशीलता को पूरी तरह से बाधित कर देता है। जिसका मुख्य प्रभाव दिव्यांग बालकों की शिक्षा पर भी पड़ता है, जिससे वो समाज की मुख्य धारा से अलग हो जाते हैं। परन्तु हमें इस पर विचार करते हुए तथा ऐसे बच्चों को पारिवारिक, विद्यालयी एवे सामाजिक वातावरण देते हुए उनकी शिक्षा व्यवस्था तथा अन्य सुविधाएँ और रियायतें देते हुए, उन्हें इस काबिल बनाना है जिससे वो समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और अन्य बालकों की तरह अपने जीवन के लक्ष्यों का निर्धारण कर सकें।
वन्दना मिश्रा बालक, विशिष्ट बालक, श्रवण बाधित बालक, अभिभावक, समाज, सहयोग। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022 Article Preview
शोधार्थिनी, विशेष शिक्षा विभाग, नेहरू ग्राम भारती (मानित) विश्वविद्यालय, कोटवा-जमुनीपुर-दुबावल, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।
डॉ दीपक कुमार त्रिपाठी
असिस्टेण्ट प्रोफेसर, विशेष शिक्षा विभाग, नेहरू ग्राम भारती (मानित) विश्वविद्यालय, कोटवा-जमुनीपुर-दुबावल, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2022-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 47-53
Manuscript Number : GISRRJ22538
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ22538