Manuscript Number : GISRRJ225515
योग और राष्ट्र निर्माण
Authors(1) :-डॉ. रेखा अग्रवाल योग द्वारा आत्म विकास मानवीय व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास पर केंद्रित है। नियमित योगाभ्यास व्यक्ति को ऊर्जा, उत्साह से भरपूर एक स्पंदित व्यक्तित्व में रूपांतरित कर उसका स्व प्रबंधन, आत्मविश्वास, जीवन वृति विकास, इच्छाशक्ति, कल्पना, चेतना, अंतर्दृष्टि विकास, सकारात्मकता आदि भाव उत्पन्न कर उसे आत्मिक विकास के मार्ग पर आरूढ़ करता है। योग द्वारा मन एवं शरीर की योग्यताओं के संवर्धन तथा संवेदनाओं, मनोभावों और कौशलों का विकास किया जा सकता हो। योग वह शक्ति है जिसमें आंतरिक क्षमताओं को पूर्णता प्रदान करने के साथ ही अपने जीवन के उद्देश्य को सफल बनाया जा सकता है। प्रस्तुत शोध पत्र में व्यक्तित्व की संपूर्ण क्षमताओं को योग द्वारा विकसित कर बेहतर तरीके से उपयोग में लाने के साथ ही शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वयं के विकास द्वारा अपनी क्षमताओं का उच्चतम उपयोग किया जा सकता है, यह बताने का प्रयास किया गया है। वस्तुतः योग का अंतिम लक्ष्य हमारी आत्मा का विकास है, हम सभी के भीतर ईश्वरी गुण विद्यमान है योग वह सीढ़ी है जिसके द्वारा हम आत्म उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।
डॉ. रेखा अग्रवाल योग, विकास, इच्छाशक्ति, कल्पना, चेतना, आत्मविश्वास। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 5 | September-October 2022 Article Preview
अतिथि व्याख्याता, योग विभाग, बी. यू. भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2022-09-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 87-88
Manuscript Number : GISRRJ225515
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225515