आपदा प्रबंधन में होमगार्ड एवं स्वयं सेवकों की भूमिका

Authors(2) :-डाॅ रचना श्रीवास्तव, दृष्टि सिंह

आपदा प्रबंधन के दो महत्वपूर्ण आंतरिक पहलू हैं। वह हैं पूर्ववर्ती और उत्तरवर्ती आपदा प्रबंधन। पूर्ववर्ती आपदा प्रबंधन को जोखिम प्रबंधन के रूप में जाना जाता है, आपदा के खतरे जोखिम एवं शीघ्र चपेट में आनेवाली स्थितियों के मेल से उत्पन्न होते हैं, यह कारक समय और भौगोलिक दृश्य से बदलते रहते हैं, जोखिम प्रबंधन के तीन घटक होते हैं, इसमें खतरे की पहचान, खतरा कम करना और उत्तरवर्ती आपदा प्रबंधन शामिल है। आपदा प्रबंधन का पहला चरण है खतरों की पहचान इस अवस्था पर प्रकृति की जानकारी तथा किसी विशिष्ट अवस्थल की विशेषताओं से संबंधित खतरे की सीमा को जानना शामिल है, साथ ही इसमें जोखिम के आंकलन से प्राप्त विशिष्ट भौतिक खतरों की प्रकृति की सूचना भी समाविष्ट है। इसके अतिरिक्त बढ़ती आबादी के प्रभाव क्षेत्र एवं ऐसे खतरों से जुड़े माहौल से संबंधित सूचना और डाटा भी आपदा प्रबंधन का अंग है, इसमें ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं कि निरंतर चलनेवाली परियोजनाएं कैसे तैयार की जानी हैं और कहां पर धन का निवेश किया जाना उचित होगा, जिससे दुर्दम्य आपदाओं का सामना किया जा सके। इस प्रकार जोखिम प्रबंधन तथा आपदा के लिए नियुक्त व्यावसायिक मिलकर जोखिम भरे क्षेत्रों के अनुमान से संबंधित कार्य करते हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ रचना श्रीवास्तव
विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र, जी.डी.सी काॅलेज, रीवा, मध्य प्रदेश।भारत।
दृष्टि सिंह
पूर्व छात्रा, समाजशास्त्र, A.P.S.U. Rewa, M.P. India

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Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 6 | November-December 2022
Date of Publication : 2022-11-06
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-13
Manuscript Number : GISRRJ22561
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ रचना श्रीवास्तव, दृष्टि सिंह , "आपदा प्रबंधन में होमगार्ड एवं स्वयं सेवकों की भूमिका", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 6, pp.01-13, November-December.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ22561

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