Manuscript Number : GISRRJ225614
पूर्वोत्तर की लोककथाओं में स्त्री अस्मिता का प्रश्न
Authors(1) :-सेतु कुमार वर्मा लोककथाएँ किसी समाज के पारंपरिक वैचारिकी का वाहक होते हैं। पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि की भूमि है। पूर्वोत्तर भारत की ट्राइबल संस्कृतियों में स्त्रियों का स्थान बेहद महत्वपूर्ण रहा है। लोककथाओं के माध्यम से हमें सम्बंधित समाज में स्त्रियों से सम्बंधित विभिन्न मुद्दों को समझने का अवसर मिलता है। पूर्वोत्तर की स्त्रियों की अस्मिता का प्रश्न उनकी ट्राइबल अस्मिता से जुदा हुआ है। आज के समय में जहाँ पूर्वोत्तर पर बाहरी संस्कृतियों एवं सत्ताओं का दवाब बढ़ता जा रहा है ऐसे में पूर्वोत्तर की स्त्रियों की ट्राइबल स्त्रियों के लिए अपनी ट्राइबल अस्मिता एवं संसाधनों को प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। साथ ही पूर्वोत्तर की स्त्रियों के प्रति शेष भारत में व्याप्त कुंठाग्रस्त पूर्वाग्रह एक बेहद गंभीर समस्या बन गई है। वहीं अकादमिक जगत में पूर्वोत्तर की स्त्रियों की स्थति के प्रति एक खुशफहमी की समस्या दिखती है जो उनकी आंतरिक समस्याओं से ध्यान हटाने का काम करती है। इस शोध प्रत्र में हम पूर्वोत्तर की कुछ ट्राइबल समुदायों की कुछ लोककथाओं के माध्यम से स्त्री अस्मिता से जुड़े प्रमुख प्रश्नों का अध्ययन करेंगे।
सेतु कुमार वर्मा पूर्वोत्तर, स्त्री, अस्मिता, लोककथा, ट्राइबल नारीवाद। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 6 | November-December 2022 Article Preview
पीएच.डी. (हिंदी),हैदराबाद विश्वविद्यालय
Date of Publication : 2022-12-20
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 77-82
Manuscript Number : GISRRJ225614
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225614