भीष्मचरितम् में निहित दार्शनिक दृष्टिकोण: गीता के आलोक में

Authors(1) :-रामजीत यादव

भीष्मचरित में महाकवि डॉ0 दीक्षित ने दर्शन जैसे अत्यन्त गूढ़ तथा दुरूह विषय का भी यथावसर बहुत ही सरल.सहज तथा प्रभावोत्पादक शैली में वर्णन किया हैए जिसके अध्ययन से दर्शन जैसे अतिगहन विषय का बोध सुगमता से हो जाता है। अस्तु भीष्मचरित के अनुशीलन से यह ज्ञात होता है कि कवि का दर्शन विषयक ज्ञान अपरिमित था। प्रस्तुत महाकाव्य में गीता की भाँति निष्काम कर्मए ज्ञानए भक्ति और संन्यास तथा आस्तिक और नास्तिक दर्शनों के मूलभूत धारणाओं का यथास्थान प्रतिपादन किया गया हैए जिससे कवि की विद्वता के साथ.साथ यह भी परिचय मिलता है कि दीक्षित जी केवल मात्र कवि ही नहीं हैंए अपितु उच्चकोटि के दार्शनिक भी हैं। उन्हें समस्त दर्शनों का यथातथ्य तथ्यात्मक ज्ञान था। अतः प्रस्तुत काव्य में प्रायः सभी भारतीय दर्शनों के मतों का न्यूनाधिक उल्लेख मिलता हैए जिनमें सर्वापेक्षया गीता का प्रभाव अधिक है।

Authors and Affiliations

रामजीत यादव
शोधच्छात्र, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उ0 प्र0

भीष्मचरितए डॉ0 दीक्षितए निष्काम कर्मए ज्ञानए भक्तिए संन्यासए आस्तिकए नास्तिक।

  1. भीष्मचरितम्, 14/13
  2. भीष्मचरितम्, 14/23-24
  3. श्रीमद्भगवद्गीता, 2/22
  4. भीष्मचरितम्, 14/25-26
  5. श्रीमद्भगवद्गीता, 2/11 पूर्वार्द्ध
  6. श्रीमद्भगवद्गीता, 2/18
  7. श्रीमद्भगवद्गीता, 2/37 पूर्वार्द्ध
  8. भीष्मचरितम्, 12/6-10
  9. भीष्मचरितम्, 19/49 उत्तरार्द्ध
  10. भीष्मचरितम्, 16/34-35
  11. भीष्मचरितम्, 19/5-8
  12. भीष्मचरितम्, 19/9-10, 12-13
  13. भीष्मचरितम्, 19/15, 17
  14. भीष्मचरितम्, 19/24-25
  15. भीष्मचरितम्, 19/26-27
  16. भीष्मचरितम्, 19/28
  17. भीष्मचरितम्, 19/29-31
  18. भीष्मचरितम्, 19/32-33
  19. भीष्मचरितम्, 19/38-39
  20. श्रीमद्भगवद्गीता, 2/14-15
  21. श्रीमद्भगवद्गीता, 2/38, 48

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 6 | November-December 2022
Date of Publication : 2022-12-20
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 104-111
Manuscript Number : GISRRJ225618
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

रामजीत यादव, "भीष्मचरितम् में निहित दार्शनिक दृष्टिकोण: गीता के आलोक में ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 6, pp.104-111, November-December.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225618

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