Manuscript Number : GISRRJ236116
स्ंात और सनातन धर्म
Authors(1) :-डाॅ0 योगेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी संत समाज की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता इस तथ्य से प्रमाणित होती है कि अधिकांश संत दान एवं भिक्षाटन कर अपने आश्रम, मठ का देखभाल करते हैं एवं हिन्दू समाज उन्हें दान देने में सदैव तत्पर रहता है। वहीं सनातन धर्म जो समाज में व्याप्त सभी प्रकार के भेदभावों एवं असमानताओं को जड़-मूल से नष्ट कर नागरिकों में परस्पर प्रेम एवं सौहार्द में वृद्धि तथा सभी वर्गों में एकता का संचार करती है। सनातन संस्कृति में जाति, वर्ण, समुदाय, कुल, वंश, रंग के आधार पर भेदभाव जैसा किसी व्यवस्था के प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता है।
डाॅ0 योगेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी संत, सनातन, धर्म, समाज, आश्रम, इम, हिन्दू।
Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 1 | January-February 2023 Article Preview
आचार्य एवं अध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग, का0सु0साकेत पी0जी0 कालेज, अयोध्या, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2023-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 74-79
Manuscript Number : GISRRJ236116
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ236116