सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता के प्रतीक बिनोद बिहारी महतो: एक विवेचन

Authors(1) :-नागेश्वर प्रजापति

यह शोध आलेख मुख्य रूप से बिनोद बिहारी महतो के सामाजिक एवं सांस्कृतिक सुधार आंदोलनों में अवदान पर केन्द्रित है। चूंकि झारखण्ड आंदोलन की प्रमुख हस्तियों में वे एक थे इसलिए स्वाभाविक तौर पर उनके राजनीतिक जीवन का भी उल्लेख इस शोध आलेख में हुआ है। इसमें इस तथ्य की पड़ताल की गई है कि अलग झारखण्ड की मांग को लेकर जो आंदोलन हुआ वह सिर्फ राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित नहीं था बल्कि उसके पीछे इस क्षेत्र की सांस्कृतिक अस्मिता एवं सामाजिक विशिष्टता को बचाए रखने के उद्देश्य को लेकर भी यह आंदोलन हुआ था। बिनोद बिहारी महतो इस सामाजिक एवं सांस्कृतिक अस्मिता के संघर्ष के प्रमुख सूत्रधार और सिद्धांतकार थे। इस शोध आलेख में इन्हीं बिन्दुओं पर विचार किया गया है।

Authors and Affiliations

नागेश्वर प्रजापति
शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद (झारखण्ड), भारत।

आंदोलन, अस्तित्व, जनजाति, प्रखर, ऐतिहासिक, लोकप्रियता, सांस्कृतिक, योगदान।

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Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 1 | January-February 2023
Date of Publication : 2023-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 32-36
Manuscript Number : GISRRJ23619
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

नागेश्वर प्रजापति, "सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता के प्रतीक बिनोद बिहारी महतो: एक विवेचन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 1, pp.32-36, January-February.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23619

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