Manuscript Number : GISRRJ23621
स्वातंत्र्योत्तर मैथिली उपन्यासमे प्रकृति चित्रण
Authors(1) :-डॉ. विनीत कुमार लाल दास लिखावटक वाह्य-स्वरूपक आधारपर लेखनक तीन प्रकार मानल गेल अछि - गद्य, पद्य आ दुनूक मिश्रित रूप चम्पू। गद्य साहित्यक एक भेद उपन्यासकेँ कहल जाइत अछि। तेँ उपन्यासकेँ बुझबाक लेल सबसँ पहिले गद्य साहित्यकेँ बुझब आवश्यक अछि।
मैथिली भाषा-भाषीक लेल ई गौरवक विषय अछि जे आधुनिक भारतीय भाषामे उपलब्ध सभसँ प्राचीन गद्य-ग्रंथ मैथिली भाषाक ‘वर्णरत्नाकर’ अछि। तेँ मैथिली भाषामे गद्यक विकास बहुत पहिलेसँ भेल अछि। ज्योतिरीश्वरक बाद गद्य मैथिली भाषामे लिखब लगभग बन्दे जकाँ रहल कारण ज्योतिरीश्वरक बाद विद्यापति अपन रचना अवहट्ठ आ संस्कृतमे गद्य रचना कयलाह तथा मैथिली भाषामे पद्यक रचना कयलाह मुदा गद्यक रचना मैथिली भाषामे नहि कयलाह।
डॉ. विनीत कुमार लाल दास Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023 Article Preview
स्नात्कोत्तर (मैथिली), स्वर्णपदक प्राप्त, नेट, पटना विश्वविद्यालय, पटना
Date of Publication : 2023-03-05
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Page(s) : 01-08
Manuscript Number : GISRRJ23621
Publisher : Technoscience Academy
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