विद्यापति आ हुनक रचना संसार

Authors(1) :-डाॅ. श्रवण कुमार

मिथिला विभूति आ बिहारक गौरव विद्यापतिक बहुआयामी व्यक्तित्व संपूर्ण भारतीय परिवेश मे विद्वान आ आमजन के बीच विचारणीय रहल अछि। विद्यापति कविक-कवि मानल जाइत छथि। ओ नीतिशास्त्री, परंपरावादी छलाह किन्तु यथार्थवादी आ सुधार-वादियो छलाह। विद्यापति संस्कृत, अवहट्ट, मैथिली एहि भाषा मे रचना कयने छलाह। हुनक रचना सँ बंगाल, उड़ीसा, आसाम, नेपाल प्रभावित छल। विद्यापति केँ कोनो सीमा मे बाँन्हि कऽ आंकलित करबाक अर्थ होयत जे विद्या के विद्यापति सँ अलग करब। शृंगार रस होइ या भक्ति रस, नीतिशास्त्र होइ या दार्शनिक चिंतन आम लोकक संदर्भ मे विद्यापति एहि सब क्षेत्र मे भारतीय जनमानस के प्रभावित कयलनि।

Authors and Affiliations

डाॅ. श्रवण कुमार
ओल्ड पी.जी. कैम्पस, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, भारत

  1. पुरुष परीक्षा- हेतुकर झा - 2022
  2. सम आस्पेक्ट आॅफ सोसायटी एंड इकोनोमी आॅफ मीडियम मिथिला
  3. विद्यापतिकालीन मिथिला - पटना 1986
  4. कंप्रीहेसिव हिस्ट्री ऑफ बिहार- पटना 1983
  5. हिस्ट्री ऑफ मैथिली लिटरेचर - साहित्य अकादमी 1976
  6. बिहार थ्रू द एजेज - कोलकाता 1959
  7. मिथिला तत्त्व विमर्श - मिथिला अकादमी
  8. द सॉन्ग ऑफ विद्यापति - सुभद्र झा 1954
  9. मिथिला इन द एज ऑफ विद्यापति- वाराणसी 1876
  10. मैथिली साहित्यक इतिहास
  11. कीर्तिलता - वाराणसी 1964
  12. हिस्ट्री ऑफ तिरहुत - कोलकाता 1922

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023
Date of Publication : 2023-03-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 09-16
Manuscript Number : GISRRJ23622
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. श्रवण कुमार, "विद्यापति आ हुनक रचना संसार", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 2, pp.09-16, March-April.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23622

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