यथार्थबोधः एक अध्ययन

Authors(1) :-पूनम

यह सच ही कहा गया है, कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, क्योंकि साहित्य के द्वारा ही किसी भी युग में तात्कालिक सांस्कृतिक जीवन का वास्तविक ज्ञान हमें प्राप्त होता है। क्योंकि साहित्य समाज से सीधा जुड़ा रहता है और समाज में जो भी घटनाएं घटित होती हैं, वही साहित्य में लिखी जाती हैं, अतः सामाजिक अनुभूतियां और संवेदना ही साहित्य का विषय बनती हैं और सामाजिकता का वास्तविक ज्ञान ही यथार्थ है। अतः साहित्य को सही तरह से पहचानने के लिए यथार्थवाद या यथार्थ को जानना अति आवश्यक है। इस आलेख के माध्यम से हम यथार्थबोध को विस्तार से जानेंगे।

Authors and Affiliations

पूनम
शोधार्थी, डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा।

यथार्थबोध, यथार्थ, वास्तविकता, वास्तविक आदि।

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल - हिन्दी साहित्य का इतिहास, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण 2012, पृ॰ 346
  2. कुमार कमलेश- आदिवासी विमर्श अवधारणा और आंदोलन पृष्ठ 15
  3. कृपाशंकर पाण्डेय - हिन्दी कथा साहित्य में यथार्थबोध के विविध रूप, समीक्षा प्रकाशन, बस्ती, संस्करण 1996, पृ॰ 29-30
  4. जयशंकर प्रसाद - काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध, पृ॰ 120 13.
  5. डाॅ. नूरजहाँ - हिन्दी कहानी में यथार्थवाद, अभिनव भारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण 1976, पृ. 28
  6. डाॅ. सत्यकाम - आलोचनात्मक यथार्थवाद और प्रेमचन्द, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण 1994, पृ. 6
  7. डाॅ. सुरेश सिन्हा - नई कहानी की मूल संवेदना, दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली, संस्करण 1961, पृ. 175-76
  8. डाॅ. सुरेश सिन्हा - नयी कहानी की मूल संवेदना, दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली संस्करण 1961, पृ. 177
  9. चन्द्रकान्त बांदिवडेकर- आधुनिक हिन्दी उपन्यासः सृजन और आलोचना, पृ॰ 52 8.
  10. शिवकुमार मिश्र - यथार्थवाद, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण 2009 पृ. 18 9.
  11. डाॅ. त्रिभुवन सिंह - हिन्दी उपन्यास और यथार्थवाद, हिन्दी प्रचारक पब्लिकेशन्स               
  12. डाॅ. एस.पी. खत्राी - आलोचनाः इतिहास तथा सिद्धान्त, पृ. 475
  13. डाॅ. त्रिभुवन सिंह - हिन्दी उपन्यास और यथार्थवाद, हिन्दी प्रचारक पब्लिकेशन्स प्रा0लि0, वाराणसी, संस्करण 1997, पृ॰ 81
  14. प्रेमचन्द - कुछ विचार, पृ. 74
  15. डाॅ. शैला चैहान- कदम आदिवासी समाज एवं संस्कृति पृष्ठ. 11
  16. त्रिभुवन सिंह - हिन्दी उपन्यास और यथार्थवाद, हिन्दी प्रचारक पब्लिकेशन्स प्रा0लि0, वाराणसी, संस्करण 1997, पृ॰ 235
  17. नंद दुलारे बाजपेयी - आधुनिक साहित्य, पृ. 445
  18. त्रिभुवन सिंह - हिन्दी उपन्यास और यथार्थवाद, हिन्दी प्रचारक पब्लिकेशन्स प्रा.लि., वाराणसी, संस्करण 1997, पृ. 303-04
  19. द्वारका प्रसाद मीतल - हिन्दी साहित्य के बाद पृ. 230
  20. नगेन्द्र - विचार और विवेचन, पृ. 97
  21. नगेन्द्र - साहित्य कोश (मानविकी खण्ड), पृ. 431
  22. प्रेमचन्द - साहित्य का उद्देश्य, पृ. 142
  23. प्रो. रामचन्द्र माली - श्रीकांत वर्मा की कहानियों में यथार्थबोध, पृ. 32
  24. बच्चन सिंह - आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण 2016, पृ. 194
  25. रामचन्द्र वर्मा - मानक हिन्दी कोश, पृ. 435
  26. रामदरश मिश्र - हिन्दी उपन्यासः एक अन्तर्यात्रा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
  27. शिव कुमार मिश्र- यथार्थवाद, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण 2009, पृ.
  28. शिव कुमार मिश्र- यथार्थवाद, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण 2009, पृ. 56
  29. हजारी प्रसाद द्विवेदी - विचार और वितर्क पृ. 103
  30. शवकुमार त्रिभुवन सिंह - हिन्दी उपन्यास और यथार्थवाद, हिन्दी प्रचारक पब्लिकेशन्स
  31. शिवकुमार मिश्र - यथार्थवाद, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण 2009, पृ. 25 11.

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023
Date of Publication : 2023-04-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 36-40
Manuscript Number : GISRRJ23625
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

पूनम, "यथार्थबोधः एक अध्ययन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 2, pp.36-40, March-April.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23625

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