Manuscript Number : GISRRJ23625
यथार्थबोधः एक अध्ययन
Authors(1) :-पूनम यह सच ही कहा गया है, कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, क्योंकि साहित्य के द्वारा ही किसी भी युग में तात्कालिक सांस्कृतिक जीवन का वास्तविक ज्ञान हमें प्राप्त होता है। क्योंकि साहित्य समाज से सीधा जुड़ा रहता है और समाज में जो भी घटनाएं घटित होती हैं, वही साहित्य में लिखी जाती हैं, अतः सामाजिक अनुभूतियां और संवेदना ही साहित्य का विषय बनती हैं और सामाजिकता का वास्तविक ज्ञान ही यथार्थ है। अतः साहित्य को सही तरह से पहचानने के लिए यथार्थवाद या यथार्थ को जानना अति आवश्यक है। इस आलेख के माध्यम से हम यथार्थबोध को विस्तार से जानेंगे।
पूनम यथार्थबोध, यथार्थ, वास्तविकता, वास्तविक आदि।
Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023 Article Preview
शोधार्थी, डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा।
Date of Publication : 2023-04-05
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 36-40
Manuscript Number : GISRRJ23625
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23625