वेदार्थावबोध में स्वरों की उपादेयता

Authors(1) :-डाॅ. संजीवनी आर्या

समस्त ज्ञानराशि का मूल वेद है। वेदों से ज्ञान प्राप्ति करने हेतु वेदार्थ की अत्यन्त आवश्यकता है। वेदों के अर्थ को सरलता से अवगमनार्थ छह वेदांगों की संरचना हुई। शिक्षा, कल्प, निरुक्त, व्याकरण, छन्द और ज्योतिष। वेदों के अर्थ बोध हेतु शिक्षा रूपी वेदांग का महत्त्वपूर्ण योगदान है। वर्णों का ज्ञान, वर्णों का उच्चारण, वर्णों के प्रयत्न इत्यादि अनेक विषय शिक्षा वेदांग द्वारा अधिगम किए जाते हैं। शिक्षा वेदांग का मुख्य विषय है स्वर। यद्यपि स्वर शब्द के अनेक अर्थ हैं तथापि वेदार्थ के अवबोध में मुख्य रूप से स्वर शब्द से उदात्त, अनुदात्त, स्वरित रूपी अर्थों को ग्रहण किया जाता है। उदात्त, अनुदात्त एवं स्वरित स्वरों का वेदार्थावगमन में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान है। बिना स्वर ज्ञान के वेदार्थ अवबोध नहीं हो सकता है। उदात्त, अनुदात्त एवं स्वरित का ज्ञान वेदार्थ के अवबोध में किस प्रकार उपादेय है? उनका स्वरूप क्या है? उनके द्वारा अर्थ की स्पष्टता कैसे होती है? इत्यादि अनेक प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत आलेख में प्रतिपादित किया गया है।

Authors and Affiliations

डाॅ. संजीवनी आर्या
असिस्टेन्ट प्रोफेसर, विद्या भवन महिला महाविद्यालय, सिवान (बिहार)

स्वर, उदात्त, अनुदात्त, स्वरित, उपादेयता, वेदार्थावबोध ।

  1. महाभाष्य 2.29
  2. फिट्सूत्र 19
  3. वाजसनेय प्रातिशाख्य 2
  4. ऋक्प्रातिशाख्य 3
  5. नाट्यशास्त्र 8
  6. कातन्त्र व्या. 1.2
  7. तैŸिारीय प्रातिशाख्य 5
  8. पाणिनीय शिक्षा 4
  9. नारदशिक्षा 2.4
  10. पिङ्गलसूत्र 64
  11. नाट्यशास्त्र 24
  12. ऋक्प्रातिशाख्य उव्वट व्याख्या 44
  13. गोपथ ब्रा0 1.5.14
  14. गोपथ ब्रा0 1.5.14
  15. ऐतरेय ब्रा0 3.24
  16. षड्विंश ब्रा0 3.7
  17. शत0 ब्रा0 11.4.2.10
  18. ताण्ड्य ब्रा0 24.11.9
  19. पा0 सू0 8.2.5
  20. पा0 सू0 1.2.35
  21. पा0 सू0 1.2.40
  22. पा0 सू0 6.1.158
  23. पा0 सू0 1.2.31
  24. महाभाष्य 2.33
  25. नारदशिक्षा 7.19
  26. तैŸिारीय प्रातिशाख्य 18-20
  27. पाणिनीय शिक्षा 11
  28. वाजसनेय प्रातिशाख्य 129
  29. पाणिनीय शिक्षा 12
  30. ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका पृष्ठ 374
  31. पा0 सू0 4.1.145
  32. पा0 सू0 6.1.197
  33. पा0 सू0 4.1.44
  34. पा0 सू0 6.1.185
  35. शुक्ल यजुर्वेद 17
  36. फिट्सूत्र 12
  37. पा0 सू0 8.1.23
  38. पा0 सू0 6.1.201
  39. पा0 सू0 6.1.202
  40. पा0 सू0 3.1.3
  41. वहीं।
  42. षष्ठीतत्पुरूष समास
  43. बहुव्रीहि समास
  44. महाभाष्य पस्पशाह्निक।
  45. पा0 सू0 6.1.168
  46. पा0 सू0 6.1.197
  47. पा0 सू0 6.1.200
  48. पा0 सू0 6.2.141
  49. ऋग्वेद 129.1

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 3 | May-June 2023
Date of Publication : 2023-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 42-48
Manuscript Number : GISRRJ23637
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. संजीवनी आर्या, "वेदार्थावबोध में स्वरों की उपादेयता", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 3, pp.42-48, May-June.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23637

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