विद्यापतिक गीतमे रसक विविध रूपक परीक्षण

Authors(1) :-राजीव कुमार झा

रस आ गुणकेँ काव्यक आत्मा मानल जाइत अछि। रसक महत्ता सर्वोपरि अछि। रसक अर्थ होइत अछि आनंद। एकर तात्पर्य ई अछि जे जाहि रचनाकेँ पढ़ि आनंदक प्राप्ति होअय, वैह काव्य थिक। नाट्यशास्त्रक प्रणेता आचार्य भरत मुनि अपन प्रसिद्ध ग्रंथमे लिखने छथि- “विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगद्रस-निस्पत्तिः“1 मोनक विचार भाव कहबैत अछि। हृदयमे वासना प्रेम, क्रोध आदिक रूपमे रहयबाला भाव स्थायीभाव कहबैत अछि। ई भाव सभ मोनमे सुतल रहैत अछि मुदा अनुकूल अवसर भेटतहिं, ओ अनायासे जागि जाइत अछि। जखन कोनो स्त्रीकेँ मनोनुकूल पुरुष वा कोनो पुरुषकेँ मनोनुकूल स्त्री भेटि जाइत छथि, तखन ओकरा प्रति आकर्षण भाव जागैत अछि। इयह आकर्षण प्रेम कहबैत अछि। एहिना ककरो मोनक प्रतिकूल आचरण करयबाला व्यक्ति प्रति ओकरा क्रोध उत्पन्न होइत अछि अर्थात जखन धरि मोनक अनुकूल वा प्रतिकूल व्यक्ति नहि भेटैत अछि, तखन धरि नहि तँ प्रेम उत्पन्न होइत अछि आ नहि क्रोध मुदा ई भाव मनुष्यक हृदयमे जन्मसँ ल’ क’ मृत्यु धरि वर्तमान रहैत अछि। तात्पर्य ई जे हृदयक प्रसुप्त भावकेँ जगयबाक लेल कोनो-ने-कोनो बाह्य वस्तुक आवश्यकता होइत अछि। मनुष्यक हृदयमे मुख्यतः दू प्रकारक भाव रहैत अछि-1. स्थायी आ 2. अस्थायी। जे भाव बेसी काल धरि मनुष्यक हृदयमे अवस्थित रहैत अछि, ओकरा ‘स्थायी भाव’ आ जे अल्प समय धरि टिकल रहैत अछि, ओकरा ‘अस्थायी भाव’ कहल जाइत अछि। “जे मनुष्यक स्थायी भावकेँ उद्दीप्त क’ दैत अछि, विभाव कहबैत अछि।

Authors and Affiliations

राजीव कुमार झा
शोधार्थी, पूणियाँ विश्वविद्यालय, पूर्णियाँ

  1. काव्य के तत्व, आचार्य देवेन्द्र नाथ शर्मा, लोक भारती प्रकाशन, इलहाबाद, संस्करण 2003 ई॰, पृष्ठ संख्या-26
  2. भविष्णु, लेखक-सम्पादक डाॅ॰ रमण कुमार झा, शेखर प्रकाशन, पटना प्रथम संस्करण-2017 ई॰ पृष्ठ संख्या-16
  3. तत्रैव, पृष्ठ-16
  4. मैथिली काव्यशास्त्र - डाॅ॰ दिनेश कुमार झा, मैथिली अकादमी, पटना, द्वितीय संस्करण 2006 ई॰ पृष्ठ-96
  5. तत्रैव, पृष्ठ-83
  6. तत्रैव, पृष्ठ-83
  7. तत्रैव, पृष्ठ-52
  8. मैथिली काव्यशास्त्र - डाॅ॰ दिनेश कुमार झा, मैथिली अकादमी, पटना, द्वितीय संस्करण 2006 ई॰ पृष्ठ- 106
  9. काव्य के तत्त्व, आचार्य देवेन्द्र नाथ शर्मा, लोक भारतीय प्रकाशन, इलाहाबाद संस्करण-2003 ई॰, पृष्ठ संख्या-29
  10. विद्यापति काव्यालोचन, प्रो॰ (डाॅ॰) बासुकीनाथ झा मैथिली अकादमी, पटना (बिहार), द्वितीय संस्करण 2018 ई॰, पृष्ठ संख्या-141
  11. विद्यापति की पदावली, संकलन: श्री रामवृक्ष बेनीपुरी, संपादित: आचार्य राम लोचन शरण, पुस्तक भंडार पब्लिशिंग हाउस, पटना, पृष्ठ-43
  12. तत्रैव, पृष्ठ-4
  13. विद्यापति काव्यालोचन, प्रो॰ (डाॅ॰) बासुकीनाथ झा मैथिली अकादमी, पटना (बिहार), द्वितीय संस्करण 2018 ई॰, पृष्ठ संख्या- 185
  14. पौरुष ओ प्रतापक महाकवि विद्यापति आलेख रचनाकार-प्रो॰ (डाॅ॰) देवकान्त झा, देसिल बयना, मैथिली साहित्य मंच, विद्यापति स्मृति गोष्ठी स्मारिका, नवम अघ्र्य हैदराबाद-सिकन्दराबाद, 25 नवम्बर, 2018, सम्पादक-चन्द्र मोहन कर्ण, पृष्ठ संख्या-28
  15. विद्यापतिक गीतावली, सम्पादक-पं. श्री गोविन्द झा, मैथिली अकादमी, पटना, चतुर्थ संस्करण-2019 ई, पृष्ठ संख्या-13
  16. तत्रैव, पृष्ठ-6
  17. तत्रैव, पृष्ठ-13
  18. तत्रैव, पृष्ठ-2
  19. तत्रैव, पृष्ठ-1
  20. तत्रैव, पृष्ठ-8
  21. तत्रैव, पृष्ठ-1
  22. तत्रैव, पृष्ठ-7
  23. तत्रैव, पृष्ठ-22
  24. विद्यापति की पदावली, संकलनः श्री रामवृक्ष बेनीपुरी, संपादित-आचार्य रामलोचन शरण, पुस्तक भंडार पब्लिशिंग हाउस, पटना, पृष्ठ संख्या-144
  25. तत्रैव, पृष्ठ-138

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 3 | May-June 2023
Date of Publication : 2023-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 55-61
Manuscript Number : GISRRJ23639
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

राजीव कुमार झा, "विद्यापतिक गीतमे रसक विविध रूपक परीक्षण ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 3, pp.55-61, May-June.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23639

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