Manuscript Number : GISRRJ236413
संस्कृत एवं आर्हत रामायण परम्परा का तुलनात्मक अध्ययन
Authors(1) :-डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय साम्यता कथानक और मूल चरित्रों में दिखती है, जबकि वैषम्यता दर्शन, चरित्र-चित्रण और नैतिकता में स्पष्ट है। यह तुलना दर्शाती है कि एक ही कथा विभिन्न दृष्टिकोणों से कैसे प्रस्तुत हो सकती है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को उजागर करती है। अंतः यही सार्वभौम सत्य है कि राम सर्वव्यापी है। ‘प्राचेतस भगवान् वाल्मीकि को अमोघ आशीः प्रदान करते हुए ब्रह्मा जी ने कहा था-पर्वत यथावत् स्थिर हैं, नदियाँ पूर्ववत् प्रवहमान हैं और रघुनन्दन श्रीराम की पावन गाथा भी, विविध विवर्तों से अग्रेसर होती लोकों को आप्यायित कर रही है।
डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय संस्कृत, रामायण, सम्यता, वैषम्यता, धार्मिक, दार्शनिक, अहिंसा, कर्म। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 4 | July-August 2023 Article Preview
सहायक आचार्य (संस्कृत) बाबा बरुआदास रनातकोत्तर महाविद्यालय, परुइया आश्रम, अम्बेडकरनगर।
Date of Publication : 2023-07-15
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 73-77
Manuscript Number : GISRRJ236413
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ236413