संस्कृत एवं आर्हत रामायण परम्परा का तुलनात्मक अध्ययन

Authors(1) :-डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय

साम्यता कथानक और मूल चरित्रों में दिखती है, जबकि वैषम्यता दर्शन, चरित्र-चित्रण और नैतिकता में स्पष्ट है। यह तुलना दर्शाती है कि एक ही कथा विभिन्न दृष्टिकोणों से कैसे प्रस्तुत हो सकती है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को उजागर करती है। अंतः यही सार्वभौम सत्य है कि राम सर्वव्यापी है। ‘प्राचेतस भगवान् वाल्मीकि को अमोघ आशीः प्रदान करते हुए ब्रह्मा जी ने कहा था-पर्वत यथावत् स्थिर हैं, नदियाँ पूर्ववत् प्रवहमान हैं और रघुनन्दन श्रीराम की पावन गाथा भी, विविध विवर्तों से अग्रेसर होती लोकों को आप्यायित कर रही है।

Authors and Affiliations

डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय
सहायक आचार्य (संस्कृत) बाबा बरुआदास रनातकोत्तर महाविद्यालय, परुइया आश्रम, अम्बेडकरनगर।

संस्कृत, रामायण, सम्यता, वैषम्यता, धार्मिक, दार्शनिक, अहिंसा, कर्म।

  1. (ऋग्वेद 10-3-3) {अर्थ- (भद्ररू) रामभद्र (भद्रया) भजनीय सीता द्वारा (सचमानरू) सेवित होते हुए (आगात) वन में आए। (स्वसारम्) सीता को चुराने के लिए (जार) रावण (पश्चात्) राम और लक्ष्मण के परोक्ष में (अभ्येति) आया। रावण के मारे जाने पर (अग्निः) अग्नि देवता (सुप्रकेतैरूद्युभि) सीता के साथ (रामंअभि) राम के सामने (रूशद्भिर्वर्णेः) उद्दीप्त तेज के साथ (अस्थात्) उपस्थित हुए और असली सीता को उन्हें सौंप दिया।
  2. प्रो. ‘अभिराज’ राजेन्द्र मिश्र, सप्तधारा, रामकथा की व्यापकता, प्रकाशन- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, वर्ष 2004, पृष्ठ 111
  3. प्रो. ‘अभिराज’ राजेन्द्र मिश्र, सप्तधारा, रामकथा की व्यापकता, प्रकाशन- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, वर्ष 2004, पृष्ठ 105
  4. वाल्मीकि रामायण, बालकांड, 18.8
  5. विमलसूरि, पउमचरियं, अध्याय 5
  6. वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड, 65.10
  7. विमलसूरि, पउमचरियं, अध्याय 45
  8. वाल्मीकि रामायण, युद्धकांड, 108.20
  9. विमलसूरि, पउमचरियं, अध्याय 82
  10. वाल्मीकि रामायण, बालकांड, 66.14
  11. रविषेण, पद्मपुराण, परिच्छेद 12
  12. वाल्मीकि रामायण, बालकांड, 1.18
  13. विमलसूरि, पउमचरियं, अध्याय 10
  14. वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकांड, 30.5
  15. वाल्मीकि रामायण, सुंदरकांड, 10.15
  16. गुणभद्र, उत्तरपुराण, परिच्छेद 25
  17. विमलसूरि, पउमचरियं, अध्याय 85
  18. विमलसूरि, पउमचरियं, अध्याय 90
  19. वाल्मीकि रामायण, बालकांड, 1.15
  20. गुणभद्र, उत्तरपुराण, परिच्छेद 23
  21. वाल्मीकि रामायण,बालकाण्ड, 4.1
  22. रविषेण, पद्मपुराण, परिच्छेद 5
  23. रविषेण, पद्मपुराण, परिच्छेद 20
  24. गुणभद्र, उत्तरपुराण, परिच्छेद 30
  25. प्रो. ‘अभिराज’ राजेन्द्र मिश्र, सप्तधारा, रामकथा की व्यापकता, प्रकाशन- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, वर्ष 2004, पृष्ठ 117

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 4 | July-August 2023
Date of Publication : 2023-07-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 73-77
Manuscript Number : GISRRJ236413
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय, "संस्कृत एवं आर्हत रामायण परम्परा का तुलनात्मक अध्ययन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 4, pp.73-77, July-August.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ236413

Article Preview