Manuscript Number : GISRRJ23648
चंद्रगुप्त नाटक मे राष्ट्रीय चेतना एवम् प्रासंगिकता
Authors(1) :-सतीश कुमार
इतिहास के पन्नों पर महात्मा गाँधी ने स्वाधीन भारत के युद्ध शक्ति के महत्व को अस्वीकार नही है जिस प्रकार। उसी जरह जैसे-जैसे दिन चढ़ता जा रहा है दरख्तों के साये में धूप तेज होती जा रही है यह धूप जैसे-जैसे बढ़ती जायेगी उसी रफ्तार से चन्द्रगुप्त नाटक की प्रासंगिकता बढ़ती जाएगी। यह स्वतः आज प्रमाणिक होता दिखायी दे रहा है।
सतीश कुमार
चन्द्रगुप्त, नाटक, राष्ट्रीय, चेतना, देश, इतिहास।
Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 4 | July-August 2023 Article Preview
शोधाार्थी, हिन्दी विभाग, ए0पी0एस0 विश्वविद्यालय रीवा, म0प्र0
Date of Publication : 2023-07-15
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 46-49
Manuscript Number : GISRRJ23648
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23648