चंद्रगुप्त नाटक मे राष्ट्रीय चेतना एवम् प्रासंगिकता

Authors(1) :-सतीश कुमार

इतिहास के पन्नों पर महात्मा गाँधी ने स्वाधीन भारत के युद्ध शक्ति के महत्व को अस्वीकार नही है जिस प्रकार। उसी जरह जैसे-जैसे दिन चढ़ता जा रहा है दरख्तों के साये में धूप तेज होती जा रही है यह धूप जैसे-जैसे बढ़ती जायेगी उसी रफ्तार से चन्द्रगुप्त नाटक की प्रासंगिकता बढ़ती जाएगी। यह स्वतः आज प्रमाणिक होता दिखायी दे रहा है।

Authors and Affiliations

सतीश कुमार
शोधाार्थी, हिन्दी विभाग, ए0पी0एस0 विश्वविद्यालय रीवा, म0प्र0

चन्द्रगुप्त, नाटक, राष्ट्रीय, चेतना, देश, इतिहास।

  1. चन्द्रगुप्त संवेदना और शिल्प- सिद्धानाथ कुमार
  2. प्रसाद के ऐतिहासिक नाटक- डाॅ जगदीशचन्द्र जोशी
  3. प्रसाद के नाटकों का शास्त्रीय अध्ययन- डाॅ जगन्नाथ प्रसाद शर्मा
  4. प्रसाद व्यक्तित्व और कृतित्व (आकाशवाणी, बम्बई से प्रसारित वार्ता 1 मार्च 1982)
  5. प्रसाद और उनके नाटक- प्रो0 केसरी कुमार

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 4 | July-August 2023
Date of Publication : 2023-07-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 46-49
Manuscript Number : GISRRJ23648
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

सतीश कुमार , "चंद्रगुप्त नाटक मे राष्ट्रीय चेतना एवम् प्रासंगिकता", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 4, pp.46-49, July-August.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23648

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