श्रीमद्भागवत महापुराण में नवधा भक्ति का स्वरूप

Authors(2) :-डाॅ0 देवनारायण पाठक, महिमा सिंह

श्रीमद्भागवत महापुराण संस्कृत वाङ्मय का आकर ग्रन्थ है, इसका अध्यात्म, काव्य और सामाजिक संगठन सम्पूर्ण विश्व के लिए गौरव का विषय है। जीवों के कल्याणार्थ ही इस महनीय ग्रन्थ का प्रादुर्भाव हुआ है। प्रस्तुत शोधपत्र में श्रीमद्भागवत में नवधा भक्ति के स्वरूप पर विचार किया जायेगा।

Authors and Affiliations

डाॅ0 देवनारायण पाठक
सह आचार्य, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती (मानित्) विश्वविद्यालय, कोटवा जमुनीपुर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
महिमा सिंह
शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती (मानित्) विश्वविद्यालय, कोटवा जमुनीपुर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

महापुराण, नवधा भक्ति, सस्कृत, वाङ्मय, परमपुरुषार्थ, कल्याणार्थ।

  1. श्रीमद्भागवत् महापुराण, गीता प्रेस, गोरखपुर।
  2. श्रीमद्भागवत्, डा0 विनोद, पाश्र्वप्रकाशन, प्रथम आवृत्ति, 1986
  3. महाभारत, गीता प्रेस गोरखपुर, बारहवां, पुनर्मुद्रण संस्करण, 2006
  4. गीता रहस्य, बालगंगाधर तिलक, राधा पब्लिकेशन, नूतन संस्करण, 2007
  5. भारतीय संस्कृति तत्वमंथन, आचार्य, जावड़ेकर, गुजरात विद्यापीठ प्रथम आवृत्ति, 1986

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 66-69
Manuscript Number : GISRRJ236612
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 देवनारायण पाठक, महिमा सिंह, "श्रीमद्भागवत महापुराण में नवधा भक्ति का स्वरूप", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 6, pp.66-69, November-December.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ236612

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