Manuscript Number : GISRRJ23684
हिन्दी साहित्य और मूल्य परक शिक्षा
Authors(1) :-डाॅ0 विवेक सिंह
मूल्य से अभिप्राय मानवीय क्रियाओं में अच्छाई-बुराई अथवा शुभ-अशुभ से है। किसी भी साहित्य में शिक्षा का उद्देश्य स्वतंत्र नहीं है वह इस बात पर निर्भर है कि मानव जीवन का उद्देश्य मानव का सबसे बड़ा पुरुषार्थ क्या है। मानव को मानवीय मूल्यों की सिद्धि के योग्य बनाना ही शिक्षा का उद्देश्य है। भूमण्डलीकरण की देहरी पर कदम रखते ही आधुनिकता की कोख से उपजी विसंगतियों ने छात्रों को अकेला, असहाय, स्वार्थी और लोभी बनाकर उसकी संवदना शक्ति ही छीन लिया जो आज के शिक्षक के समक्ष एक बड़ी चुनौती है क्योंकि गुरू के प्रयत्नों से ही ‘असतो माँ सद्गमय, तमसो माँ ज्योर्तिगमय’ यानि शिष्य का सोया शिष्यत्व जगेगा और संपूर्ण जीवन मंें - सत्यम-शिवम-सुन्दरम्’ की अभिव्यक्ति होगी।
डाॅ0 विवेक सिंह
साहित्य, मूल्य, शिक्षा,पुरुषार्थ, स्वार्थी, असहाय, संवदना, शक्ति। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023 Article Preview
सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, कमला नेहरू पी0जी0 कॉलेज, तेजगॉव, रायबरेली।
Date of Publication : 2023-04-05
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 89-93
Manuscript Number : GISRRJ23684
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23684