हिन्दी साहित्य और मूल्य परक शिक्षा

Authors(1) :-डाॅ0 विवेक सिंह

मूल्य से अभिप्राय मानवीय क्रियाओं में अच्छाई-बुराई अथवा शुभ-अशुभ से है। किसी भी साहित्य में शिक्षा का उद्देश्य स्वतंत्र नहीं है वह इस बात पर निर्भर है कि मानव जीवन का उद्देश्य मानव का सबसे बड़ा पुरुषार्थ क्या है। मानव को मानवीय मूल्यों की सिद्धि के योग्य बनाना ही शिक्षा का उद्देश्य है। भूमण्डलीकरण की देहरी पर कदम रखते ही आधुनिकता की कोख से उपजी विसंगतियों ने छात्रों को अकेला, असहाय, स्वार्थी और लोभी बनाकर उसकी संवदना शक्ति ही छीन लिया जो आज के शिक्षक के समक्ष एक बड़ी चुनौती है क्योंकि गुरू के प्रयत्नों से ही ‘असतो माँ सद्गमय, तमसो माँ ज्योर्तिगमय’ यानि शिष्य का सोया शिष्यत्व जगेगा और संपूर्ण जीवन मंें - सत्यम-शिवम-सुन्दरम्’ की अभिव्यक्ति होगी।

Authors and Affiliations

डाॅ0 विवेक सिंह
सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, कमला नेहरू पी0जी0 कॉलेज, तेजगॉव, रायबरेली।

साहित्य, मूल्य, शिक्षा,पुरुषार्थ, स्वार्थी, असहाय, संवदना, शक्ति।

  1. मानव मूल्य और साहित्य - डाॅ0 धर्मवीर भारती।
  2. आधुनिक काव्य में नवीन जीवन मूल्य- डाॅ0 हुकुमचन्द।
  3. आधुनिक हिन्दी साहित्य - डाॅ0 बच्चन सिंह।
  4. स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी उपन्यासों में मानव-मूल्य और उपलब्धियाँ- डाॅ0 भगीरथ बड़ोले।
  5. आज का भारतीय साहित्य- संपादक अज्ञेय।
  6. कविता की उध्र्वयात्रा- डाॅ0 रामकमल राय।
  7. दस्तावेज (109) सं0 डाॅ0 विश्वनाथ प्रसाद तिवारी।

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023
Date of Publication : 2023-04-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 89-93
Manuscript Number : GISRRJ23684
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 विवेक सिंह , "हिन्दी साहित्य और मूल्य परक शिक्षा", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 2, pp.89-93, March-April.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23684

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