Manuscript Number : GISRRJ23686
तत्कालीन भारतीय शैक्षिक परिवेश में मालवीय जी का प्रयास एक अध्ययन
Authors(1) :-सुषमारानी शिक्षा किसी भी समाज के विकास और प्रगति की आधारशिला होती है। भारत में भी शिक्षा को सामाजिक जागरूकता और सशक्तिकरण का प्रमुख माध्यम माना गया है। किंतु ब्रिटिश शासनकाल के दौरान भारतीय समाज में शैक्षिक संसाधनों की कमी, जागरूकता का अभाव और वर्गीय असमानताएं व्यापक रूप से व्याप्त थीं। ऐसे चुनौतीपूर्ण परिवेश में पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रयास किए। मालवीय जी ने शिक्षा को केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता की कुंजी के रूप में देखा। उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) की स्थापना कर भारतीयों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया। उन्होंने शिक्षा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुँचाने के लिए न केवल संस्थान स्थापित किए, बल्कि अपनी विचारधारा से लोगों को शिक्षित होने हेतु प्रेरित भी किया। उनके प्रयासों से तत्कालीन भारतीय शैक्षिक परिवेश में नवचेतना, नवसृजन और नवविकास की लहर उठी। यह अध्ययन मालवीय जी के शैक्षिक दृष्टिकोण, उनके कार्यों और उनके द्वारा स्थापित संस्थानों के माध्यम से भारतीय समाज में आए शैक्षिक परिवर्तन का विश्लेषण करता है। मालवीय जी के योगदान ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा प्रदान की और स्वतंत्रता पूर्व भारत में शिक्षा के जनसामान्यीकरण की नींव रखी।
सुषमारानी शिक्षा, भारतीय समाज, नैतिक मूल्य, स्त्री शिक्षा, शैक्षिक परिवेश, काशी विश्वविद्यालय। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023 Article Preview
एसोसिएटप्रोफेसर, शिक्षक शिक्षा विभाग, एन.एम.एस.एन.दास (पी.जी.)कॉलेज, बदायूं, भारत।
Date of Publication : 2023-04-10
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 104-111
Manuscript Number : GISRRJ23686
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23686