अलका सरावगी के उपन्यासों में नैतिक जीवन-मूल्य

Authors(1) :-कु. राजवती

नैतिक मूल्य-नैतिक मूल्य समाज द्वारा स्वीड्डत वे मानव मापदण्ड हैं जो मनुष्य की गरिमा को उठाते हैं। किसी को दबाने - सताने, नीचा दिखाने, उसके अधिकार छीनने का व्यवहार प्रेम और ममता तथा नैतिकता कदापि नहीं कही जा सकती, यदि ऐसा है, तो वह प्रेम और नैतिक भाव कदापि नहीं हो सकता। नैतिक मूल्यों को बनाए रखते जो सुख और शान्ति व्यक्ति अनुभव करता है, वह जीवन का सर्वोच्च मूल्य कहा जा सकता है।

Authors and Affiliations

कु. राजवती
शोधार्थी, हिन्दी—विभाग आगरा कॉलेज, आगरा।

अलका सरावगी, उपन्यास, नैतिक, जीवन-मूल्य, स्त्री-पुरुष, मानव, स्वतन्त्रता।

  1. अलका सरावगी के कथा साहित्य का मूल्यांकन
  2. पृष्ठ संख्या 44
  3. पृष्ठ संख्या 45
  4. पृष्ठ संख्या 46
  5. पृष्ठ संख्या 130
  6. पृष्ठ संख्या 131
  7. पृष्ठ संख्या 132

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 1 | January-February 2024
Date of Publication : 2024-02-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 37-38
Manuscript Number : GISRRJ24716
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

कु. राजवती, "अलका सरावगी के उपन्यासों में नैतिक जीवन-मूल्य", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 1, pp.37-38, January-February.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24716

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