चातुवर्ण्य-मुनिसंघ का स्वरूप

Authors(1) :-प्रो. सुदीप कुमार जैन

चातुवर्ण्य-मुनिसंघ जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें जैन साधुओं का समूह होता है। मुनिसंघ जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण और विशेष अंग है, जिसे 'जैन मुनि' या 'साधु' कहा जाता है। इन साधुओं का मुख्य उद्देश्य आत्मसाक्षात्कार और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मुनिसंघ अपने आत्मज्ञान और विरक्ति के माध्यम से समग्र उन्मुक्ति की प्राप्ति की दिशा में प्रयासरत होते हैं। वे ध्यान, तप, व्रत, अहिंसा और अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के माध्यम से इस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। वे अपने जीवन में अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, और तप का पालन करते हैं। मुनिसंघ जैन समाज में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये साधु और साध्वीओं का समूह समाज के लिए आदरणीय और आदर्श होता है। उन्होंने संसारिक बंधनों से मुक्त होकर आत्मा के प्रकाश की प्राप्ति के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया होता है। मुनिसंघ के सदस्य अकेले रहते हैं और साधु-समाज (संघ) में आध्यात्मिक अभ्यास करते हैं। वे विभिन्न तप, ध्यान, प्रवचन और शिक्षा के माध्यम से जैन धर्म के सिद्धांतों को प्रस्तुत करते हैं और समुदाय के लोगों को धार्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं। इस प्रकार, जैन मुनिसंघ जैन समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक नैतिकता को प्रोत्साहित करता है।

Authors and Affiliations

प्रो. सुदीप कुमार जैन
आचार्य, एवं विभागाध्यक्ष, प्राकृतभाषा-विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) नई दिल्ली

चातुवर्ण्य-मुनिसंघ, जैन, धर्म, मोक्ष, तप, ध्यान, प्रवचन, शिक्षा।

  1. सर्वार्थसिद्धि-6/13
  2. सर्वार्थसिद्धि-9/24
  3. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 6/13/3 & 9/24/442
  4. चारित्रसार, 151/4
  5. भावपाहुड, गा. 78 की टीका
  6. द्रष्टव्य, मूलाचार, 10/96

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 2 | March-April 2024
Date of Publication : 2024-04-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 57-60
Manuscript Number : GISRRJ247212
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

प्रो. सुदीप कुमार जैन, "चातुवर्ण्य-मुनिसंघ का स्वरूप ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 2, pp.57-60, March-April.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ247212

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