अष्टांग योग के यम और नियम के पालन का मानव जीवन पर प्रभाव

Authors(1) :-नागरमल

आज मानव इस मशीनी युग में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं होते हुए भी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक रूप से स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। हम स्वास्थ्य की पूरी जानकारी रखते हुए भी स्वस्थ नहीं है। प्राचीन काल से लेकर अब तक स्वास्थ्य संस्कृति पर बहुत सारे शास्त्रकारों, रचनाकारों, साहित्यकारों, लेखकों ने अपने-अपने अनुभव का बखान किया है। इस संदर्भ में महर्षि पतंजलि का “पतंजल योगस ूत्र” अपने में अद्वितीय है। जिसमें महर्षि पतंजलि ने मानसिक क्लेशों (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) का निवारण के लिए योग सूत्रों का वर्णन किया। वही मन को संयमित और एक सदाचारी, नैतिक जीवन जीने के लिए अष्टांग योग में यम और नियम जैसे मुख्य अंगा ें का भी वर्णन किया है। जिसका अनुसरण कर व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, बा ैद्धिक अवस्थाओं से ऊपर उठकर राजयोग अर्थात जीवन मे ं अध्यात्म की उच्च अवस्था (मोक्ष) को प्राप्त कर सकता है।

Authors and Affiliations

नागरमल
व्याख्याता हिंदी] श्री वीर तेजा उच्च माध्यमिक विद्यालय सुनारी नागौर, राजस्थान

अष्टांग योग, यम और नियम, स्वास्थ्य, मानव जीवन, नैतिकता, सदाचार

  1. पातंजल योगदर्शन, गीताप्रेस, गोरखपुर।
  2. योग दर्शन पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य।
  3. पतंजलि योग दर्शन, डॉ. नवीन चंद्र भट्ट, किताब महल।
  4. पतंजलि योग दर्शन हरिदास गोयेदक गा ेरखप्रेस।
  5. योगसूत्र, व्यासभाष्य, भारतीय विद्या प्रकाशन।
  6. विकास कुमार, चैखंबा पब्लिशि ंग हाऊस।
  7. योग दर्शनम् आचार्य उदयवीर शास्त्री।?
  8. ैचपतपजनंसपजल ।ेीजंदहं ल्वहंरू अष्टांग योग ;ंइचसपअम.बवउद्ध

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 3 | May-June 2024
Date of Publication : 2024-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 18-22
Manuscript Number : GISRRJ24733
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

नागरमल , "अष्टांग योग के यम और नियम के पालन का मानव जीवन पर प्रभाव", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 3, pp.18-22, May-June.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24733

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