Manuscript Number : GISRRJ24733
अष्टांग योग के यम और नियम के पालन का मानव जीवन पर प्रभाव
Authors(1) :-नागरमल
आज मानव इस मशीनी युग में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं होते हुए भी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक रूप से स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। हम स्वास्थ्य की पूरी जानकारी रखते हुए भी स्वस्थ नहीं है। प्राचीन काल से लेकर अब तक स्वास्थ्य संस्कृति पर बहुत सारे शास्त्रकारों, रचनाकारों, साहित्यकारों, लेखकों ने अपने-अपने अनुभव का बखान किया है। इस संदर्भ में महर्षि पतंजलि का “पतंजल योगस ूत्र” अपने में अद्वितीय है। जिसमें महर्षि पतंजलि ने मानसिक क्लेशों (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) का निवारण के लिए योग सूत्रों का वर्णन किया। वही मन को संयमित और एक सदाचारी, नैतिक जीवन जीने के लिए अष्टांग योग में यम और नियम जैसे मुख्य अंगा ें का भी वर्णन किया है। जिसका अनुसरण कर व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, बा ैद्धिक अवस्थाओं से ऊपर उठकर राजयोग अर्थात जीवन मे ं अध्यात्म की उच्च अवस्था (मोक्ष) को प्राप्त कर सकता है।
नागरमल
अष्टांग योग, यम और नियम, स्वास्थ्य, मानव जीवन, नैतिकता, सदाचार Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 3 | May-June 2024 Article Preview
व्याख्याता हिंदी] श्री वीर तेजा उच्च माध्यमिक विद्यालय सुनारी नागौर, राजस्थान
Date of Publication : 2024-05-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 18-22
Manuscript Number : GISRRJ24733
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24733