ब्रिटिशकालीन भारत में भू-राजस्व नीति

Authors(1) :-डॉ. श्रीकान्त वर्मा

नई भूमि प्रणालियों (जमींदारी और रैयतवाड़ी) ने भूमि और किसान दोनों को गतिशील बना दिया, तथा साहूकार और अनुपस्थित जमींदार की शक्ति में वृद्धि के लिए रास्ता खुला छोड़ दिया। - डी. एंड ए. थोर्नेर साम्राज्यवादी अंग्रेजों ने भारतीय कृषि प्रणाली में बड़े पैमाने पर परिवर्तन किये। नवीन भूमि काश्तकारी पद्धतियाँ स्वमित्व, धारणाएं तथा सर्वाधिक भू-राजस्व की मांग ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ऐसे परिवर्तन किये जिससे सम्पूर्ण देश के कृषि क्षेत्र में हाहाकार मच गया तथा एक विकृत आधुनिकता सी आ गई।

Authors and Affiliations

डॉ. श्रीकान्त वर्मा
पीएच. डी., मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग

  1. आर. सी. द : भारत का आर्थिक इतिहास
  2. बी. एच. बेडेन पावेल : ब्रिटिश भारत की भूमि प्रणालियाँ
  3. मारिस डी. मारिस : 19वीं सदी में भारतीय अर्थव्यवस्था: एक संगोष्ठी
  4. एस. के. पाण्डे : आधुनिक भारत
  5. बी. एल. ग्रोवर : आधुनिक भारत का इतिहास:एक नवीन मूल्यांकन
  6. एरिक स्टोक्स : किसान और राज
  7. एरिक स्टोक्स : अंग्रेजी उपयोगितावादी और भारत

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 4 | July-August 2024
Date of Publication : 2024-08-20
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 47-49
Manuscript Number : GISRRJ24747
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. श्रीकान्त वर्मा , "ब्रिटिशकालीन भारत में भू-राजस्व नीति", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 4, pp.47-49, July-August.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24747

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