Manuscript Number : GISRRJ247614
जगतप्रकाश चतुर्वेदी के काव्य में संवेदना और शिल्प
Authors(1) :-डॉ. केशव कुमार शर्मा
जगत प्रकाश चतुर्वेदी के सम्पूर्ण काव्य का अध्ययन एवं विश्लेषण करने पर हमें ज्ञात होता है कि आपका काव्य विविधतायुक्त है। जहाँ आपने अच्छे गीत एवं नवगीतों की रचना की है। वहीं आपने दोहे लिखकर भी अपनी अद्भुत सृजन क्षमता का परिचय दिया है। आपको रचनाएं संवेदना एवं शिल्प दोनों स्तरों पर पूर्णतः खरा उतरती है। आपने दोनों शैलियों में गीत लिखे--परम्परागत तथा आधुनिक परम्परा में 'नवगीत'। परम्परागत गीतों में जहाँ आपने प्रेम, सौन्दर्य, प्रकृति, मानवीय संवेदना को अपनी लेखनी का आधार बनाया है, वहीं नवगीतों में आपने गीत के नवीन शिल्प का निर्वाह करते हुए नए प्रतीक, बिम्ब, उपमान आदि का सटीक एवं सार्थक प्रयोग किया है। शिल्पगत नए प्रयोगों से कवि की भाषा में अभिव्यक्ति की प्रखरता एवं पैनापन देखते ही बनता है।
डॉ. केशव कुमार शर्मा
नवगीत, दोहा, गीत, संवेदना। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 6 | November-December 2024 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग क0मुं0 हिन्दी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ, भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय, आगरा।
Date of Publication : 2024-12-20
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 94-100
Manuscript Number : GISRRJ247614
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ247614