Manuscript Number : GISRRJ25813
पाश्चातकाल से आधुनिक युग तक विवाहोपरांत महिलाओं की बदलती स्थितियां एवं प्रतिमान
Authors(1) :-डाॅ. सीमा पटेल
वैवाहिक सम्बन्ध मुख्य तौर पर केवल दो विषम लिंगियों के बीच ही नहीं बल्कि दो परिवारों और उनसे सम्बन्धित अन्य सम्बन्धियों एवं स्थानों से भी परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सम्बन्धों को जोड ़ने का कार्य करते है। वैवाहिक सम्बन्ध सामाजिक सम्बन्धों को स्थापित करने या उन्हें बनाये रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। इन वैवाहिक सम्बन्धों के माध्यम से लोगों के विचारों, मान्यताओं और मूल्यों आदि का पता चलता है। प्रारम्भिक काल में व्यक्ति विवाह इसलिये करता था क्योंकि जीवन-यापन की समस्या उसके सामने थी। आर्थिक कारणों से मनुष्य को बच्चों की आवश्यकता होती थी, जो न केवल उन्हें काम में मदद करें, बल्कि जब माता-पिता कार्य करने योग्य नहीं रहे तब बच्चे बीमें के समान उनके काम आ सकें। उन्हें खेतों पर काम करने के लिये अधिक स्त्रियों की आवश्यकता होती थी। इसका यह अर्थ नहीं है कि प्रारम्भिक काल में विवाह में प्रेम तथा सहयोग नहीं था और केवल व्यावहारिक कारण ही अधिक महत्वपूर्ण थे। आज जब ‘परम्परागत’ समाज ‘आधुनिक’ समाज में बदल रहा है, विवाह के लिये इन व्यावहारिक कारणों का महत्व कम होता जा रहा है। आज विवाह के जो प्रेरक कारक माने जा रहे है वे है एकाकीपन की भावना से छुटकारा तथा दूसरों के माध्यम से जीवित रहने का उद्देश्य। इस प्रकार आज विवाह का प्रमुख उद्देश्य मित्रता या सहयोग प्राप्ति है। यौन सन्तुष्टि इसके क्षेत्र से परे नहीं है परन्तु यह अब मित्रता की अपेक्षा गौण हो गया है।
वर्तमान समय में भारतीय विवाह संस्था उस दो राहे पर खड़ी है जहाँ एक ओर तो शिक्षित युवक-युवतियाँ विवाह के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलने में यकीन रखते है, वही दूसरी ओर एक ऐसा वर्ग है जो विवाह के प्रति अपने परम्परावादी विचारों से सन्तुष्ट है। अतः विवाह के प्रति उनके दृष्टिकोण में परिवर्तन हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में वैश्वीकरण, आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण, औद्योगीकरण, नगरीकरण, पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति तथा सहशिक्षा ने भारतीय विवाह संस्था को प्रभावित किया है। आजकल तो कम्प्यूटर के बढ़ते प्रभाव, इन्टरनेट एवं सोशल साइट्स ने भी विवाह संस्था को प्रभावित किया है।
डाॅ. सीमा पटेल
विवाह, प्रतिमान, महिला, संस्था, शिक्षा, व्यावहारिक, समाज, सामाजिक, सांस्कृतिक। Publication Details Published in : Volume 8 | Issue 1 | January-February 2025 Article Preview
सहायक आचार्य, समाजशास्त्र विभाग, स्वामी जयदेव योगीराज पी0जी0 काॅलेज, मुजफ्फरपुर, मदनापुर, शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2025-02-05
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 22-32
Manuscript Number : GISRRJ25813
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ25813