वैश्वीकरण में जनजातीय समाज का विकास: मुद्दे एवं चुनौतियां

Authors(1) :-डॉ. श्रीमती शांति एक्का

वैश्वीकरण के दौर में जनजातीय समाज के विकास के समक्ष कई महत्वपूर्ण मुद्दे और चुनौतियां खड़ी हुई हैं। यह प्रक्रिया जहां आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समावेशन के नए अवसर प्रस्तुत करती है, वहीं दूसरी ओर यह जनजातीय पहचान, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान के लिए खतरे भी उत्पन्न करती है। वैश्वीकरण के कारण जनजातीय समाज को आधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, और रोजगार के अवसरों तक पहुँच प्राप्त हुई है, परंतु इसके साथ-साथ उनके परंपरागत संसाधनों और जीवन शैली में भी गंभीर हस्तक्षेप हुआ है। भूमि अधिग्रहण, वनों का अतिक्रमण, और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जनजातीय जीवन के लिए गंभीर चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं। इसके अतिरिक्त, वैश्विक बाजारों और उपभोक्तावाद के प्रभाव से जनजातीय समाज में असमानता और सामाजिक-आर्थिक विभाजन भी बढ़ा है। आधुनिक विकास के मॉडलों ने अक्सर जनजातीय समाज की विशेष आवश्यकताओं और संवेदनशीलताओं की उपेक्षा की है। इससे सामाजिक विस्थापन और सांस्कृतिक ह्रास जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। इस शोध में, जनजातीय समाज के विकास के संदर्भ में वैश्वीकरण के प्रभावों का विश्लेषण किया गया है और उन चुनौतियों का समाधान खोजने का प्रयास किया गया है जो उनकी स्थिरता और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए आवश्यक हैं।

Authors and Affiliations

डॉ. श्रीमती शांति एक्का
सहायक प्राध्यापक,समाजशास्त्र, सत्यनारायण अग्रवाल शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, कोहका-नेवरा, जिला: रायपुर, छत्तीसगढ़ (भारत)

वैश्वीकरण, जनजातीय समाज, विकास, चुनौतियां, सांस्कृतिक संरक्षण, सामाजिक-आर्थिक असमानता, विस्थापन, प्राकृतिक संसाधन, पारंपरिक ज्ञान, भूमि अधिग्रहण

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Publication Details

Published in : Volume 8 | Issue 1 | January-February 2025
Date of Publication : 2025-02-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 33-37
Manuscript Number : GISRRJ25814
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. श्रीमती शांति एक्का , "वैश्वीकरण में जनजातीय समाज का विकास: मुद्दे एवं चुनौतियां", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 8, Issue 1, pp.33-37, January-February.2025
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ25814

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