कश्मीर शैव दर्शन में शिव और शक्ति

Authors(1) :-डाॅ0 प्राची अग्रवाल

वेदों, उपनिषदों एवं पुराणों में ब्रह्म की त्रिगुणत्मिका प्रकृति को शक्ति माना गया है। श्वेताश्वेतरों उपनिषदनुसार सत्, रज और तमस्वरूपा त्रिगुणत्मिका प्रकृति ही शक्ति है। इसी का मूल ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद के रात्रिसूक्त देवीसूक्त एवं श्रीसूक्त में एवं अर्थर्ववेद के ‘देव्यर्थवशीर्ष’ में भगवती की शक्ति एवं आराधना का विकसित रूप विद्यमान है। शक्ति मत में परेमश्वर को स्त्री रूप माना गया है और उस को शक्ति या परावाक् कहा गया है। उस पराशक्ति के लिए आनन्द भैरवी, महाभैरवी, त्रिपुर सुन्दरी ललिता आदि नाम प्रयुक्त किये गये हैं। साधना के क्षेत्र में शक्ति के भवानी, काली दुर्गा आदि अनेक रूप है। वह परमेश्वर की शक्ति है जो भोग में भवानी, योग में कुण्डलिनी, कोप में काली और समर में दुर्गा है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 प्राची अग्रवाल
सहायक आचार्य, मुलतानीमल मोदी काॅलिज मोदीनगर, गाजियाबाद।

कश्मीर, शैव, दर्शन,शिव, शक्ति, आराधना, योग।

  1. ऋग्वेद - चैखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  2. स्वछन्द तन्त्र - क्षेमराज, चैखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी
  3. तन्त्रसार अभिनवगुप्त - चैखम्बा, सुरभारती प्र.वारणसी
  4. तन्त्रालोक - परमहंस मिश्र, चैखम्बा
  5. भारतीय दर्शन - उमेश मिश्र, चैखम्बा
  6. भारतीय दर्शन - राधाकृष्णन सर्वपल्ली राजपाल एण्ड सन्स प्रकाशन, नई दिल्ली
  7. भारतीय दर्शन - विश्वनाथ शर्मा, चैखम्बा
  8. शैव सिद्धान्त दर्शन - कैलाशपति मिश्र-अर्द्धनारीश्वर प्रकाशन, वाराणसी

Publication Details

Published in : Volume 8 | Issue 1 | January-February 2025
Date of Publication : 2025-02-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 99-105
Manuscript Number : GISRRJ25820
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 प्राची अग्रवाल , "कश्मीर शैव दर्शन में शिव और शक्ति ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 8, Issue 1, pp.99-105, January-February.2025
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ25820

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