Manuscript Number : GISRRJ25820
कश्मीर शैव दर्शन में शिव और शक्ति
Authors(1) :-डाॅ0 प्राची अग्रवाल
वेदों, उपनिषदों एवं पुराणों में ब्रह्म की त्रिगुणत्मिका प्रकृति को शक्ति माना गया है। श्वेताश्वेतरों उपनिषदनुसार सत्, रज और तमस्वरूपा त्रिगुणत्मिका प्रकृति ही शक्ति है। इसी का मूल ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद के रात्रिसूक्त देवीसूक्त एवं श्रीसूक्त में एवं अर्थर्ववेद के ‘देव्यर्थवशीर्ष’ में भगवती की शक्ति एवं आराधना का विकसित रूप विद्यमान है। शक्ति मत में परेमश्वर को स्त्री रूप माना गया है और उस को शक्ति या परावाक् कहा गया है। उस पराशक्ति के लिए आनन्द भैरवी, महाभैरवी, त्रिपुर सुन्दरी ललिता आदि नाम प्रयुक्त किये गये हैं। साधना के क्षेत्र में शक्ति के भवानी, काली दुर्गा आदि अनेक रूप है। वह परमेश्वर की शक्ति है जो भोग में भवानी, योग में कुण्डलिनी, कोप में काली और समर में दुर्गा है।
डाॅ0 प्राची अग्रवाल
कश्मीर, शैव, दर्शन,शिव, शक्ति, आराधना, योग। Publication Details Published in : Volume 8 | Issue 1 | January-February 2025 Article Preview
सहायक आचार्य, मुलतानीमल मोदी काॅलिज मोदीनगर, गाजियाबाद।
Date of Publication : 2025-02-05
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 99-105
Manuscript Number : GISRRJ25820
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ25820