भारत में समावेशी शिक्षा पर भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रभाव एवं महत्व का अध्ययन

Authors(2) :-भाग्य भटनागर, डॉ निकिता यादव

भारत में समावेशी शिक्षा के संरक्षण व संवर्धन के लिए ज्ञान परंपराओं का ज्ञान अति आवश्यक हैं। भारत, ज्ञान और परंपरा यह तीनों शब्द मात्र शब्द नहीं, बल्कि प्रत्येक भारतीय के भाव हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी समावेशी शिक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए शिक्षा क्षेत्र के सभी स्तरों पर छात्रों का समावेश कर मुख्यधारा में शामिल कर अपने पर बल दिया जाता हैं। अतः समावेशी शिक्षा के माध्यम से छात्र-छात्राएं न केवल अपने-अपने अतीत से गौरवान्वित होकर वर्तमान में संतुलित व्यवहार की ओर बढ़ेंगे बल्कि भविष्य के प्रति प्रसन्नचित होंगें। भारतीय मूल्यों एवं सामाजिक परिवेश के बीच हमारी शिक्षा व्यवस्था को समावेशी बनाना अत्यंत आवश्यक हैं। समावेशी शिक्षा में एकसमान व्यवस्था भारतीय प्राचीन ज्ञान परंपरा को बिना लिए नहीं चल सकती है, क्योंकि एक तरफ तो हम आधुनिकता की तरफ दौड़ रहे है, वहीं दूसरी ओर भारतीय संस्कृति ज्ञान-विज्ञान परंपरा को भूलते जा रहे हैं। भारत की सभ्यता और ज्ञान विश्व पटल पर सबसे पुरातन और सर्वश्रेष्ठ ज्ञान हैं। भारत के पुरातन ज्ञान को नूतन संदर्भ में शिक्षा में समावेश करने की आवश्यकता हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा में शिक्षा का जो दृष्टिकोण रहा है, वह समावेशी शिक्षा के सिद्धांतों के साथ पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ हैं। भारतीय संस्कृति और परंपरा में प्रत्येक व्यक्ति के विकास, सामाजिक समानता और सामाजिक सशक्तिकरण की संकल्पना को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जो समावेशी शिक्षा की भावना से मूल रूप से जुड़ा हुआ हैं। प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से प्राचीन ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाया जाता था, जो एक तरह से समावेशी शिक्षा का ही अमूर्त रूप था। इस शोध पत्र के माध्यम से हम भारत में समावेशी शिक्षा पर भारतीय ज्ञान परंपरा का क्या प्रभाव रहा हैं और उसके महत्व को जानने का प्रयास करेंगे।

Authors and Affiliations

भाग्य भटनागर
शोधकर्ता, शिक्षा विभागए आईएफटीएम विश्वविद्यालयए लोदीपुर राजपूतए मुरादाबादए उत्तर प्रदेश, भारत
डॉ निकिता यादव
शोध निर्देशिका, शिक्षा विभागए आईएफटीएम विश्वविद्यालयए लोदीपुर राजपूतए मुरादाबादए उत्तर प्रदेश, भारत

संस्कृति, भारतीय ज्ञान परंपरा, असमानता, समावेशी शिक्षा

  1. एनसीईआरटी। (2020)। समावेशी शिक्षारू भारतीय दृष्टिकोण। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद।
  2. एनसीईआरटी। (2013)। समावेशी शिक्षा का बुनियादी ढांचा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद।
  3. मनोरंजन, स. (2015)। भारतीय समाज और शिक्षारू समावेशी दृष्टिकोण। भारतीय शिक्षा पत्रिका, 45(3), 113-125।
  4. कृष्णन, एस. (2018)। भारतीय ज्ञान परंपरा और समावेशी शिक्षा का गठजोड़। भारतीय शैक्षिक दर्शन पत्रिका, 32(1), 45-56।
  5. कुमार, वी. (2017)। भारत में समावेशी शिक्षा के सिद्धांत और उनके सांस्कृतिक प्रभाव। भारतीय सामाजिक विज्ञान शिक्षा पत्रिका, 40(4), 234-248।
  6. सिंह, ए. (2021)। समावेशी शिक्षा और भारतीय सामाजिक संरचना। भारतीय समाजशास्त्र और शिक्षा पत्रिका, 39(2), 199-212।
  7. जैन, स. (2016)। भारतीय ज्ञान परंपरा और समावेशी शिक्षा। भारतीय शैक्षिक अध्ययन पत्रिका, 28(2), 78-90।
  8. गांधी, म. (2014)। समावेशी शिक्षा और भारतीय दर्शनरू एक सांस्कृतिक अध्ययन। गांधी अध्ययन पत्रिका, 22(1), 115-126।
  9. पांडे, आर. (2019)। भारतीय शिक्षा व्यवस्था में समावेशितारू इतिहास और विकास। शैक्षिक विकास पत्रिका, 35(4), 149-160।
  10. अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ (।प्न्)। (2020)। भारत में समावेशी शिक्षा के लिए मार्गदर्शन। शैक्षिक समीक्षा, 18(3), 34-42।
  11. सिन्हा, पी. (2022)। भारतीय शिक्षा नीति और समावेशी दृष्टिकोण। भारतीय शिक्षा नीति पत्रिका, 40(2), 223-235।
  12. शर्मा, आर. (2021)। समावेशी शिक्षा का भारतीय समाज में विकास और प्रभाव। भारतीय समाज और शिक्षा पत्रिका, 38(4), 186-199।

Publication Details

Published in : Volume 8 | Issue 2 | March-April 2025
Date of Publication : 2025-04-24
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 127-134
Manuscript Number : GISRRJ258314
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

भाग्य भटनागर, डॉ निकिता यादव, "भारत में समावेशी शिक्षा पर भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रभाव एवं महत्व का अध्ययन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 8, Issue 2, pp.127-134, March-April.2025
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ258314

Article Preview