निष्काम एवं अनासक्तकर्म कर्म की अवधारणा

Authors(1) :-डॉ. विनोद कुमार

मिसाइलमैन के नाम से जाने जाने वाले डॉ. ए.पी. जे अब्दुल कलाम ने एक ऐसा इतिहास रचा कि सम्पूर्ण देश ही उन्हें अपना आदर्श मानने लगा। 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पहले और एक मात्र ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंने वैज्ञानिक के साथ-साथ एक नेता के रूप में भी अपना परिचय दिया। वह भारत के ऐसे पहले वैज्ञानिक थे जो राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। वे देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पूर्व भारतरत्न से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही बह एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने अजीवन अविवाहित रहकर देश सेवा का व्रत लिया था। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को आज के छात्र युवा अपना आदर्श मान उनके विचारों से प्रेरित होते हैं। जहाँ वैज्ञानिक के रूप में डॉ० ए० पी० जे अब्दुल कलाम ने भारत को मिसाइलों और आधुनिक हथियारों के क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाने का बीड़ा उठाया। अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये उन्होंने प्रतिभाओं को खोज 280 वैज्ञानिकों का एक छल बनाया। अग्नि, पृथ्वी, आकाश, बत्रिशूल, नाग आदि मिसाइलों के सफल प्रक्षेपण से एक नया नाम रू श्मिसाइल मैनश् दिया गया। वहीं डॉ. कलाम की जीवन शैली और विचारधारा विभिन्न विषयों पर उनकी विचारधारा रोशनी दृष्टि से एक नई मिसाल के रूप में हमारे समझ आकड़ी प्रस्तुत करती है।

Authors and Affiliations

डॉ. विनोद कुमार
सह- आचार्य, संस्कृत पालि प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

शैक्षिक, दर्शन, डाॅ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम, मिसइलमैन, चिंतन।

  1. वैयाकरण सिद्धान्तकौमुदी, सू.546, बालमनोरमा टीका,चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन वाराणसी-2003
  2. यजुर्वेद, अ. 40, मं.2, सं. 1992, परोपकरिणी सभा अजमेर
  3. वैयाकरण सिद्धान्तकौमुदी, सू.546, बालमनोरमा टीका,चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन वाराणसी-2003
  4. श्रीमद्भगवद्गीता, अ.3, श्लो.5, सं. वि.सं. 1993, गीताप्रेस गोरखपुर
  5. तिलक लोकमान्य बालगंगाधर, श्रीमद्भगवद्गीतारहस्य, सं. 1933, पुणे
  6. सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रह, श्लो. 12, पृ.5, सनातनधर्म यन्त्रालय मुरादाबाद, 1978 वि.सं.
  7. कौण्डभट्ट् अचार्य, वैयाकरणभूषणसार, धात्वर्थनिर्णय, का. 2
  8. श्रीमद्भगवद्गीता, अ.2, श्लो.47, सं. वि.सं. 1993, गीताप्रेस गोरखपुर
  9. गीता में आत्मप्रबन्धन, पृ. 175, सं. 2012, परिमल प्रकाशन, दिल्ली
  10. श्रीमद्भगवद्गीता, शाङ्करभाष्य,अ.2, श्लो.47
  11. वही
  12. महभारत, वनपर्व, गीताप्रेस गोरखपुर
  13. श्रीमद्भगवद्गीता, अ.3, श्लो.22 सं. वि.सं. 1993, गीताप्रेस गोरखपुर
  14. श्रीमद्भगवद्गीता, अ.18, श्लो.14 सं. वि.सं. 1993, गीताप्रेस गोरखपुर
  15. गान्धी मोहनदास कर्मचन्द,हिन्दस्वराज सं.2009, नवजीवन प्रकाशन
  16. श्रीमद्भगवद्गीता, अ.18, श्लो.4 सं. वि.सं. 1993, गीताप्रेस गोरखपुर

Publication Details

Published in : Volume 8 | Issue 2 | March-April 2025
Date of Publication : 2025-04-24
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 140-145
Manuscript Number : GISRRJ258316
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. विनोद कुमार, "निष्काम एवं अनासक्तकर्म कर्म की अवधारणा ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 8, Issue 2, pp.140-145, March-April.2025
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ258316

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