Manuscript Number : GISRRJ258317
प्रयागराज महाकुंभ.2025ः मानवता की एक अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर
Authors(1) :-डॉ देवेन्द्र प्रताप सिंह विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आध्यात्मिक व सांस्कृतिक समागम महाकुंभ 2025, 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित किया गया। इस मेले ने कई देशों के करोड़ों तीर्थ यात्रियों व आगंतुकों को आकर्षित किया। इस महाउत्सव का आयोजन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम (गंगा-यमुना-सरस्वती) के तट पर किया गया। इस बार महाकुंभ का संयोग 144 वर्ष बाद देखने को मिला। कुंभ मेले की उत्पत्ति से संबंधित जानकारी हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित है। ह्वेनसांगके अनुसार राजा हर्षवर्धन के काल से कुंभ का प्रारंभ माना जाता है। प्रयागराज के संगम तट को हजारों टेंट व आश्रयो के साथ एक अस्थाई टेंट शहर में परिवर्तित कर दिया जाता है तथा श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं हेतु व्यापक चिकित्सा की व्यवस्था की गई, वहीं सुरक्षा हेतु सात स्तरीय प्रणाली के माध्यम से बेहतर सुरक्षा उपाय का क्रिवान्वयन किया गया। इस महाकुंभ में परिवहन साधनों पर जोर दिया गया तथा कई हजार बसों के परिचालन के साथ-साथ रेलवे, वायु परिवहन के साधनों में भी वृद्धि की गई, जिससे आने वाले लोगों को कोइ असुविधा न हो सकेइस महाकुंभ में सामाजिक व स्वास्थ्य कल्याण पर विशेष ध्यान दिया गया । इन 45 दिनों के आयोजन में 66 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई तथा 60 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला। इस आयोजन का प्रभाव तत्कालिक व भविष्यगामी होगाए जिससे पर्यटन व रोजगार पर व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा।
डॉ देवेन्द्र प्रताप सिंह अमूर्त, सांस्कृतिक धरोहर, कल्पवास, आध्यात्मिक, सामाजिक आर्थिक, स्वच्छता, वेदाध्ययन, समावेशी, श्रद्धालु, स्टार्टअप, शाही स्नान।
Publication Details Published in : Volume 8 | Issue 3 | May-June 2025 Article Preview
पूर्व शोध छात्र, भूगोल विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ उ०प्र०
Date of Publication : 2025-05-05
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Page(s) : 01-04
Manuscript Number : GISRRJ258317
Publisher : Technoscience Academy
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