ऋग्वेद में लोक-कल्याण की भावना

Authors(1) :-डॉ० उमाकान्त यादव

ऋग्वेद की ऋचाओं में वर्णित ऋषियों की मानव मात्र के प्रति अतिशय उदार भावना, मैत्री की उत्कृष्ट अवधारणा, एकता, समानता, सहृदयता तथा संगठन का उच्च आदर्श, विश्वजनीन सुमति की परिकल्पना, परस्पर एक दूसरे के कल्याण की भावना, विभिन्न भाषा-भाषी और विविध धर्मों को मानने वाले व्यक्तियों के प्रति सद्भाव, सार्वजनिक कल्याण की भावना एवं समस्त विश्व को आर्य बनाने की परिकल्पना आदि सन्दर्भ ऋग्वेद में अन्तर्निहित लोक-कल्याण की भावना को प्रतिपादित करते हैं।

Authors and Affiliations

डॉ० उमाकान्त यादव
प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,भारत।

ऋग्वेद, ऋचा, लोक-कल्याण, ऋषि, विश्व, वाङ्मय, मैत्री, आदर्श, भाषा, संस्कृत।

  1. ऋ. 7.54.1
  2. ऋ. 1.114.1
  3. यजु. 18.48
  4. अथर्व. 1.31.4
  5. अथर्व. 19.62.1
  6. ऋ. 1.89.2
  7. ऋ. 1.58.6
  8. ऋ. 3.1.19
  9. ऋ. 1.29.9
  10. ऋ. 1.75.4
  11. ऋ. 1.164.33
  12. यजु. 36.18
  13. अथर्व. 19.15.6
  14. वेदामृतः सुखी समाज, पृ0 64-65
  15. ऋ. 10.191.2
  16. ऋ. 10.191.3
  17. ऋ. 10.191.4
  18. अथर्व. 3.30.1
  19. ऋ. 3.57.6
  20. ऋ. 7.100.2
  21. यजु. 17.74
  22. ऋ. 6.75.14, यजु. 29.51, तैति.सं. 4.6.6.5, निरुक्त 9.15
  23. अथर्व. 12.145
  24. अथर्व. 3.30.3
  25. ऋ. 9.63.5

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021
Date of Publication : 2021-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 75-79
Manuscript Number : GISRRJ120341
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ० उमाकान्त यादव, "ऋग्वेद में लोक-कल्याण की भावना", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 1, pp.75-79, January-February.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ120341

Article Preview