Manuscript Number : GISRRJ120353
अग्निपुराण में राजधर्म एक अनुशीलन
Authors(1) :-पंकज तिवारी सारांश- अग्निपुराण को यदि समस्त भारतीय विद्याओं का विश्वकोश कहें तो किसी प्रकार अत्युक्ति न होगी। इन पुराणों का उद्देश्य जनसाधारण में ज्ञातव्य विद्याओं का प्रचार करना भी था। इसका पूरा परिचय हमें इस पुराण के अनुशीलन में मिलता है इस पुराण के 383 अध्यायों में नाना प्रकार के विषयों का सन्निवेश कम आश्चर्य का विषय नहीं है। योगशास्त्र के यम, नियम आदि आठों अंगों का वर्णन संक्षेप में बड़ा ही सुन्दर है। अन्त में अद्वैत वेदान्त के सिद्धान्तों का सार संकलन है। इस पुराण में सब विद्याओं का प्रदर्शन (परिचय) कराया गया है।गंगा तथा प्रयाग आदि तीर्थों की महिमा का वर्णन किया गया है।मन्वन्तर आदि का वर्णन तथा वर्ण और आश्रम आदि के धर्मों का प्रतिपादन किया गया है।
पंकज तिवारी अग्निपुराण, योगशास्त्र, पुराण, शाक्त आगम, भुवनकोश, ज्योतिश्चक्र, वैद्यक, निघण्टु, समुन्नत राष्ट्र, समुज्ज्वल, बुद्धि अक्षुद्र। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021 Article Preview
शोध छात्र, संस्कृत विभाग, राजकीय महाविद्यालय झाँसी (सम्बद्ध बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय,झाँसी)
शोध केन्द्र-नेहरू महाविद्यालय ललितपुर उ0प्र0 (सम्बद्ध बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय,झाँसी)
Date of Publication : 2021-02-28
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 141-147
Manuscript Number : GISRRJ120353
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ120353