Manuscript Number : GISRRJ122529
साहित्य का समाजशास्त्र और दलित आत्मकथाएँ
Authors(1) :-अतुल कुमार साहित्य का सम्बन्ध हमेशा से मनुष्य के जीवन चरित्र से रहा है। मनुष्य समाज में रहता है और समाज में राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भाषा के आधार पर परिवर्तन होता है तो साहित्य पर इसका प्रभाव अवश्य पड़ता है। जैसे-जैसे मनुष्य के विचार एवं व्यवहार में अंतर आता है तो उसका प्रभाव समाज में निवास कर रही जनता पर भी पड़ता है। अगर जनता इससे प्रभावित होती है तो साहित्य भी प्रभावित होगा।साहित्य मनुष्य की जीवन-मरण, उल्लास, वेदना, सुख-दुख, आशा, आकांक्षा, की अभिव्यक्ति का साधन न बनकर वह समाज की पीड़ा, वेदना, ग्लानि, उतार-चढ़ाव को भी वाणी दें रहा है।
अतुल कुमार साहित्य, समाज, समाजशास्त्र, यथार्थवाद, सामाजिक, दलित, आत्मकथा । Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022 Article Preview
शोधार्थी (पी-एच.डी.) हिंदी विभाग, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय
Date of Publication : 2022-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 57-60
Manuscript Number : GISRRJ122529
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ122529