Manuscript Number : GISRRJ181123
क्षणिकवाद एवं खेमाथेरी-मार संवाद
Authors(1) :-इन्दु डिमोलिया थेरीगाथा की थेरियों की गाथाओं में बौद्ध दार्शनिक तत्त्व दिखाई देते हैं। थेरीगाथा की थेरियाँ किसी अन्य से न लड़कर, स्वयं के मनोविकारों से ही लड़ती हैं। आज के समय में इस बात का बहुत बड़ा महत्व है, वर्तमान समाज में जहाँ एक-दूसरे पर दोषारोपण कर स्वयं को सही ठहराने की होड़ मची हुई है, वही थेरीगाथा की थेरियाँ स्वयं के मनोविकारों से लड़ने के लिए कहती हैं।
इन्दु डिमोलिया क्षणिकवाद, खेमाथेरी-मार, संवाद, बौद्ध, दार्शनिक, संस्कृत साहित्य। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018 Article Preview
शोधच्छात्रा, संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान, जे.एन.यू, दिल्ली, भारत।
Date of Publication : 2018-12-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 113-118
Manuscript Number : GISRRJ181123
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ181123