मानव-जीवन एवं संत कबीर

Authors(1) :-डॉ० जया शर्मा

विश्व बन्धुत्व की भावना को बल मिलता है तथा मानव स्वयं ही मानवता के प्रेम को अपनाने के लिए अग्रसर हुआ है निश्चित रूप से कबीर की ये साखियाँ मानव को आत्म निरीक्षण की ओर उन्मुख करती है शुद्ध आचरण के लिए सभी को बाध्य करती है। संतोष, उदारता, परोपकार सेवा आदि को अपनाने का आग्रह करती है। अच्छे कर्मों की प्रेरणा बुरे कर्मों का त्याग सच्चरित्रता, सामाजिक एकता, भगवद्भक्ति आदि का संचार करती है। इसलिए कबीर की साखियाँ वाणी के अद्भुत सौन्दर्य से ओतप्रोत हैं और इनमें कबीर को सर्वजयी व्यक्तिव विद्यमान है।

Authors and Affiliations

डॉ० जया शर्मा
रीडर एवं अध्यक्ष, संगीत विभाग, आर्य कन्या पी0जी0 कालेज, हापुड़, उत्तर प्रदेश, भारत

मानव, जीवन, संत, कबीर, सौन्दर्य, परोपकार, संतोष, उदारता।

  1. हिन्दी के प्राचीन प्रतिनिधि कवि (लेखक डॉ० द्वारिका प्रसाद सक्सैना)।
  2. कबीर वाणी कथ्य और शिल्प (लेखक डॉ० राजकिशोर शर्मा)।
  3. कबीर ग्रन्थावली।
  4. संस्कार पत्रिका।

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 195-199
Manuscript Number : GISRRJ1811314
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ० जया शर्मा, "मानव-जीवन एवं संत कबीर", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 1, Issue 1, pp.195-199, November-December.2018
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ1811314

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