वर्तमान संदर्भ में सनातन धर्म की प्रासंगिकता (स्मृति-ग्रन्थों के आलोक में)

Authors(1) :-डॉ. सी.के.झा

मनुष्य स्मृति-ग्रंथों में प्रतिपादित धर्म का अनुसरण करे तो निश्चय ही कुटुम्ब में सुख, वैभव तथा शान्ति का आगमन होगा और जो टूटन, बिखराव और तनाव वर्तमान समय में समाज में हर ओर व्याप्त है, वह अवश्य घटेगा तथा नैतिक मूल्यों का विघटन रूक जायेगा और एक उच्च समाज के प्रतिष्ठापन की प्रक्रिया आरम्भ होगी। मनुष्य में उच्च मनुष्यत्व को प्रकट करने का लक्ष्य इस धर्म का है। मानव-मानव के बीच प्रेम-भाव रहे, यही सच्चा धर्म है।

Authors and Affiliations

डॉ. सी.के.झा
एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, एम.पी.एन. कॉलेज, मुलाना, अम्बाला (हरियाणा)

सनातन, धर्म, मनुष्य, स्मृति ग्रन्थ, कुटुम्ब, सुख, वैभव, शान्ति।

  1. ऋग्वेद, 1.22.18, 5.26.6, 7.43.24 तथा64.1
  2. वही, 4.43.3, 5. 63.7, 6.70.1 तथा89.5
  3. मीमांसा सूत्र1.2
  4. यतोऽभ्युदयनिःश्रेयस् सिद्धिः स धर्मः। वैशेषिक सूत्र, 1.1.1 तथा1.2
  5. संस्कृत के दार्शनिक नाटकों का संविधानक तत्त्व, पृ० 29
  6. मनुस्मृति, 8.15, 12.23 तथा52
  7. वही, 2.12, 6.92 तथा 93
  8. वही, 4.138 तथा83
  9. वही, 1.85-86
  10. वही, 10.81 से 98
  11. याज्ञवल्क्यस्मृति, 1.3
  12. वही, 1.6-8
  13. वही, 1.22-23
  14. वही, 1.30-31 तथा 37
  15. धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम् ।। मनुस्मृति, 6.92
  16. भारतीय धर्म और दर्शन, पृ० 13
  17. तैत्तिरीय उपनिषद्, 1.11.1
  18. महाभारत, वन पर्व, 313.110
  19. आचारः परमो धर्मः। मनुस्मृति, 1.108
  20. वेदः स्मृतिः सदाचारः स्वस्य च प्रियमात्मनः। एतच्चतुर्विधं प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य लक्षणम् ।। मनुस्मृति, 2.12
  21. धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।। वही, 6.92

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-12-20
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 221-225
Manuscript Number : GISRRJ1811330
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. सी.के.झा, "वर्तमान संदर्भ में सनातन धर्म की प्रासंगिकता (स्मृति-ग्रन्थों के आलोक में)", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 1, Issue 1, pp.221-225, November-December.2018
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ1811330

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