नासिरा शर्मा के उपन्यासों में अभिव्यक्त सामाजिक चेतना

Authors(1) :-डॉ. मनीषा शंखवार

नासिरा शर्मा के उपन्यास हिंदी साहित्य में सामाजिक चेतना के सशक्त वाहक हैं। उनकी रचनाएँ समाज की जटिलताओं, विशेष रूप से नारी की स्थिति, धार्मिक रूढ़ियों, सामाजिक असमानता, और मानवीय संवेदनाओं को गहनता से उजागर करती हैं।नासिरा शर्मा के उपन्यासों में नारी की स्थिति और उनके संघर्ष को प्रमुखता से चित्रित किया गया है। वे मुस्लिम समाज में स्त्रियों की दशा, रूढ़ियों, और अंधविश्वासों के खिलाफ उनकी लड़ाई को उजागर करती हैं। उदाहरण के लिए, शाल्मली में नायिका शाल्मली सामाजिक बंधनों को तोड़कर अपने करियर और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करती है, जो नारी की जागृत चेतना को दर्शाता है। पारिजात में भी नारी की वेदना और उसकी आंतरिक चेतना का चित्रण है, जो सामाजिक परिवर्तन की माँग करता है।

Authors and Affiliations

डॉ. मनीषा शंखवार
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, लक्ष्मीबाई कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।

स्त्री विमर्श, भारतीय समाज, हिन्दी उपन्यास, नासिरा शर्मा, सामाजिक चेतना ।

  1. महेंद्र भटनागर, स्वातंत्र्योत्तर हिंदी साहित्य, पृष्ठ 17 से उद्धृत
  2. प्रो मैनेजर पाण्डेय, साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका, पृष्ठ 11
  3. संपादक, फिरोज अहमद, नासिरा शर्मा: एक मूल्यांकन, पृष्ठ 53
  4. नासिरा शर्मा, कागज की नाव, पृष्ठ 49
  5. नासिरा शर्मा, ठीकरे की मंगनी, पृष्ठ 169
  6. वही, पृष्ठ 170
  7. वही, पृष्ठ 101
  8. नासिरा शर्मा, अक्षयवट, पृष्ठ 292
  9. नासिरा शर्मा, कुईंयाजान, पृष्ठ 89
  10. नासिरा शर्मा, ठीकरे की मंगनी, पृष्ठ 82
  11. नासिरा शर्मा, शाल्मली, पृष्ठ 165
  12. नासिरा शर्मा, शाल्मली, पृष्ठ 106
  13. नासिरा शर्मा, ठीकरे की मंगनी, पृष्ठ 197
  14. नासिरा शर्मा, शाल्मली, पृष्ठ 165

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 4 | July-August 2019
Date of Publication : 2019-07-25
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 83-87
Manuscript Number : GISRRJ192255
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. मनीषा शंखवार , "नासिरा शर्मा के उपन्यासों में अभिव्यक्त सामाजिक चेतना ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 4, pp.83-87, July-August.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ192255

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