Manuscript Number : GISRRJ192317
संस्कृत साहित्य में नारी
Authors(1) :-भानु प्रकाश उनियाल नारी समाज व सृष्टि का आधार होती है। समाज के निर्माण में नारी की मुख्य भूमिका होती है। हमारे वैदिक वांगमय में नारी को पुरुष की सहधर्मिणी कहा जाता है तथा स्त्री को भारतीय साहित्य में पुरषों के ही सामान समाज का आधार स्तंभ माना गया है। वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता था जो परम्परा आज भी समाज में दृष्टिगोचर होती है परन्तु आज नारी के साथ अन्याय और शोषण की घटनाएँ भी सुनाई पडती हैं जो अत्यन्त निन्दनीय है। इन सबका प्रमुख कारण है कि हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलते जा रहे हैं जो दुर्भाग्य पूर्ण है। स्त्री आज से नहीं अपितु वैदिक काल से ही सम्मान की पात्र मानी गई है। संस्कृत साहित्य में नारी का क्या महत्व था इन्ही सब विन्दुओं पर आधारित है यह शोधपरक लेख।
भानु प्रकाश उनियाल नारी, संस्कृत, साहित्य, समाज, देवी।
Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार, भारत।
Date of Publication : 2019-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 100-105
Manuscript Number : GISRRJ192317
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ192317