भवति के प्रकृति चित्रण के रस योजना

Authors(1) :-दिपचन्द्र चैरसिया

भवभूति का प्रकृति का चित्र्ाण यथार्थ अ©र स्वाभाविक है। उन्ह¨ंने बिना किसी परिवर्तन के प्रत्यक्ष देख्¨ गए दृश्य¨ं के उसी रूप में चित्र्ाित किया है। इस सन्दर्भ में उन्ह¨ंने न त¨ पुरातन कविय¨ं का अनुकरण किया है अ©र न ही वे किसी से प्रभावित हैं। उनके प्रकृति चित्र्ाण में म©लिकता, नवीनता, सरसता, स्वाभाविकता कमनीयता एवं भावुकता के दर्शन ह¨ते हैं। इस प्रकार उन्ह¨ंने अपनी प्रकृति सुन्दरी क¨ सहज रूप में प्रस्तुत कर संस्कृत जगत् क¨ एक नई दिशा प्रदान की है।

Authors and Affiliations

दिपचन्द्र चैरसिया
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, भारत

काव्य, प्रकृति, नाट्य, कालिदास, रामचरित, भवमूति, अल©किक, उददीपन, आलम्बन।

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019
Date of Publication : 2019-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 12-18
Manuscript Number : GISRRJ19233
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

दिपचन्द्र चैरसिया, "भवति के प्रकृति चित्रण के रस योजना", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 3, pp.12-18, May-June.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19233

Article Preview