Manuscript Number : GISRRJ19235
वाल्मीकि रामायण में प्रतिबिम्बित मानव-मूल्यों का सामाजिक अनुशीलन
Authors(1) :-डॉ बशिष्ठ सिंह कुशवाहा वाचिक, आंगिक एवं साप्तिक अभिनयके द्वारा ज¨ हमारी चित्तवृत्तिय का विश्¨ष रूप से विभावन, अर्थात् ज्ञापन कराने वाल् हेतु या निमित्त हते हैं, उन्हें ही विभाव की संज्ञा प्रदान की गयी है यहाँ चितवृत्तिय से स्थायी एवं व्यभिचारी नामक भाव ही अभिप्रेत हैं जिन्हें विभाव विभावित अथवा ज्ञापित कराते हैं। आलम्बन एवं उद्दीपन भेद से विभावद प्रकार हते हैं। उक्त चित्तवृत्तिय के विषयभूत विभाव आलम्बन कहे जाते हैं तथा भावक उद्दीप्त करने वाल्¨ उन्हें समुत्त्¨जन प्रदान करने वाल्¨ विभाव उद्दीपन हते हैं। भाविके आलम्बन एवं उद्दीपन की क¨ई संख्या नियत नहीं है; नायकादि तथा देश-काल आदि भेद से वे कई प्रकार के ह जाते हैं।
डॉ बशिष्ठ सिंह कुशवाहा वाल्मीकि, रामायण, समानता, मानवता, सदाचार, निलोभिता, त्यागशीलता Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
(प्रवक्ता) +2 उच्च विद्यालय, देवघर, झारखण्ड, भारत
Date of Publication : 2019-06-30
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Page(s) : 35-40
Manuscript Number : GISRRJ19235
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19235