चैतन्य मत का दार्शनिक दृष्टिकोण

Authors(1) :-स्वाती द्विवेदी

भक्ति का उत्कृष्ट आदर्श श्री चैतन्य देव ने स्वयं अपने जीवन में प्रदर्शित किया। माध्वमत की शाखा होने पर भी चैतन्यमत का दार्शनिक दृष्टिकोण सर्वथा स्वतन्त्र तथा पृथक है। श्रीमद्भागवत निर्मल प्रमाणशास्त्र हैं। प्रेम ही सर्वश्रेष्ठ पुरूषार्थ है- महाप्रभु चैतन्य के मत का यही सारांश है।

Authors and Affiliations

स्वाती द्विवेदी
शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय जमुनीपुर, प्रयागराज।,भारत

चैतन्य, भक्ति, प्रेम, दार्शनिक, वैष्णव, पुरूषार्थ।

  1. लघुभागवतामृत 1/50
  2. स्वरूपायभिन्नत्वेन - जीवगोस्वामी: भगवत्सन्दर्भ
  3. भक्तिरसामृतसिन्धु 1/1/19
  4. श्रीमद्भागवत
  5. बलदेव विद्याभूषण - सिद्धान्तरत्न
  6. सिद्धान्त रत्न
  7. कविर्मनीषी परिभूः स्वयंभू- ईशावास्योपनिषद्
  8. भागवत सम्प्रदाय - बलदेव उपाध्याय

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 11-15
Manuscript Number : GISRRJ19253
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

स्वाती द्विवेदी, "चैतन्य मत का दार्शनिक दृष्टिकोण", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 5, pp.11-15, September-October.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19253

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