Manuscript Number : GISRRJ19253
चैतन्य मत का दार्शनिक दृष्टिकोण
Authors(1) :-स्वाती द्विवेदी भक्ति का उत्कृष्ट आदर्श श्री चैतन्य देव ने स्वयं अपने जीवन में प्रदर्शित किया। माध्वमत की शाखा होने पर भी चैतन्यमत का दार्शनिक दृष्टिकोण सर्वथा स्वतन्त्र तथा पृथक है। श्रीमद्भागवत निर्मल प्रमाणशास्त्र हैं। प्रेम ही सर्वश्रेष्ठ पुरूषार्थ है- महाप्रभु चैतन्य के मत का यही सारांश है।
स्वाती द्विवेदी चैतन्य, भक्ति, प्रेम, दार्शनिक, वैष्णव, पुरूषार्थ। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019 Article Preview
शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय जमुनीपुर, प्रयागराज।,भारत
Date of Publication : 2019-09-30
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Page(s) : 11-15
Manuscript Number : GISRRJ19253
Publisher : Technoscience Academy
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