Manuscript Number : GISRRJ19271
वर्ण - व्यव्स्था
Authors(1) :-लक्ष्मण तिवारी
वैदिककालीन वर्ण – व्यवस्था सामान्यतः कर्म पर आधारित थी, जिनका विभाजन गुण एवं कर्म के आधार पर किया गया था, न कि जन्म के आधार पर। स्मृतिकार मनु ने भी उपर्युक्त चारों वर्णों के पृथक् – पृथक् कर्म बताए हैं। जिनमें ब्राह्मण का कर्त्तव्य अध्ययन करना, अध्ययन कराना, यज्ञ करना, यज्ञ कराना, दान देना एवं दान लेना है। क्षत्रिय का कर्त्तव्य प्रजाओं की रक्षा करना आदि है। वैश्य का कर्त्तव्य पशुओं की रक्षा करना आदि। शूद्र का कर्त्तव्य चारों वर्णौं की निष्कपट होकर सेवा करना बताया गया है।
लक्ष्मण तिवारी
वर्ण, व्यवस्था, ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, सुवर्ण। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग (कला संकाय), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (उत्तरप्रदेश)भारत।
Date of Publication : 2019-12-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 80-83
Manuscript Number : GISRRJ19271
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19271