सीता का चरित्र विवेचन: कतिपय प्रबन्ध-काव्यों के विशेष सन्दर्भ में

Authors(1) :-डाॅ0 मधु शर्मा

महाकाव्यों में सीता का चरित्र बड़ी विविधताएँ लिए हुए हैं। पुत्री, पत्नी, वात्सल्यमयी जननी, स्नेहिला भ्रातृजाया तपस्विनी तथा रण के प्रांगण में अपना शौर्य प्रदर्शन करने वाली वीरांगना के रूप में सीताजी का चरित्र रूपान्तरित हुआ है। वास्तव में नारी जाति के लिए वे प्रेरणास्रोत बनी हैं। जब तक भारतीय संस्कृति की अजस्र निर्मल धारा धरणीतल पर अस्तित्व में रहेगी, तब तक उनका चरित्र अनवरत अनुकरणी रहेगा। वे ध्रुवतारिका की भांति भारतीय तो क्या समूचे विश्व के मानस-पटल पर सदा-सर्वदा द्योतित होती रहेंगी।

Authors and Affiliations

डाॅ0 मधु शर्मा
एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, नानकचन्द ऐंग्लो संस्कृत महाविद्यालय, मेरठ,उत्तर प्रदेश।, भारत।

महाकाव्य, सीता, चरितत्र, प्रबन्ध, भारतीय, संस्कृति, नाटक, नायक, वाल्मीकि।

  1. वाल्मीकि, रामायणम्, 1/4/7
  2. वही, 6/113/48
  3. बुल्के, कामिल, रामकथा उत्पत्ति और विकास, पृ॰ 293
  4. हरिऔध, वैदेही वनवास, पृ॰ 54
  5. रामस्वरूप टंडन, सीता परित्याग, पृ॰ 13
  6. राजदेव सिंह कौशल, सीतायन, पृ॰ 11
  7. हरिऔध, वैदेही वनवास, पृ॰ 128
  8. रामस्वरूप टंडन, सीता परित्याग, पृ॰ 111
  9. राजाराम शुक्ल, जानकी जीवन, पृ॰ 239
  10. छोटे लाल भारद्वाज, सीतायन, पृ॰ 251-252
  11. हरिऔध, वैदेही वनवास, पृ॰ 187-203
  12. नाथू लाल नम्र, वनस्थली, पृ॰ 102
  13. नरेश मेहता, प्रवाद पर्व, पृ॰ 80-81
  14. डाॅ0 मुकुन्द देव शर्मा, हरिऔध और उनका साहित्य, पृ॰ 525-26
  15. हरिऔध, वैदेही वनवास, पृ॰ 176
  16. गोविन्द अनिल, अयोध्या की एक शाम, पृ॰ 28
  17. सोहन लाल ‘रामरंग’, उत्तर साकेत, द्वितीय खण्ड, पृ॰ 660
  18. वही, पृ॰ 658-659
  19. वही, पृ॰ 584

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019
Date of Publication : 2019-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 118-123
Manuscript Number : GISRRJ19278
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 मधु शर्मा, "सीता का चरित्र विवेचन: कतिपय प्रबन्ध-काव्यों के विशेष सन्दर्भ में", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 6, pp.118-123, November-December.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19278

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